दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 15 मई से डीजल जेनरेटर सेट को दोहरी ईंधन प्रणाली (70 प्रतिशत गैस और 30 फीसदी डीजल) से लैस कराने के बाद ही इस्तेमाल की इजाजत होगी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने शुक्रवार को कहा कि 800 किलोवाट तक की क्षमता वाले जेनरेटर को औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्र के लिए इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू होने के बाद इन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।ग्रैप लागू होने की अवधि में औद्योगिक इस्तेमाल में चुनिंदा रूप से अनुमति दी जाती है, बशर्ते वे सीपीसीबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार रेट्रो-फिट एमिशन कंट्रोल डिवाइस (आरईसीडी) से लैस हों।

आयोग ने कहा है कि डीजल जेनरेटर सेटों का बेतहाशा इस्तेमाल चिंता का विषय है।पर्याप्त उत्सर्जन नियंत्रण उपायों के बिना क्षेत्र में संचालित बड़ी संख्या में डीजल जेनरेटर सेट भारी वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं। इसलिए जब ग्रैप लागू नहीं होता उस दौरान भी डीजल जेनरेटर सेट के इस्तेमाल को नियंत्रित किए जाने की जरूरत है।सीएक्यूएम ने एक बयान में कहा कि जिन इलाकों में गैस का बुनियादी ढांचा और आपूर्ति उपलब्ध है, वहां पर 800 किलोवाट क्षमता तक के डीजल जनरेटर सेट को दोहरी ईंधन प्रणाली (70 प्रतिशत गैस और 30 फीसदी डीजल) से लैस कराने के बाद 15 मई से समूचे एनसीआर में औद्योगिक और वाणिज्य क्षेत्र के लिए इस्तेमाल करने की इजाजत होगी।

डीजी सेट संचालन को ग्रैप के तहत अवधि में औद्योगिक अनुप्रयोगों में चुनिंदा रूप से अनुमति दी जाती है, बशर्ते वे सीपीसीबी के दिशानिर्देशों के अनुसार रेट्रो-फिट एमिशन कंट्रोल डिवाइस (आरईसीडी) से लैस हों। आयोग ने आदेश में कहा है कि डीजल जनरेटर सेटों का बेतहाशा इस्तेमाल चिंता का विषय है।ग्रैप के तहत प्रतिबंध के अलावा अन्य अवधियों के दौरान भी पर्याप्त उत्सर्जन नियंत्रण उपायों के बिना क्षेत्र में संचालित बड़ी संख्या में डीजल जनरेटर सेट, भारी वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं। इसलिए जब ग्रैप लागू नहीं होता उस दौरान भी डीजल जनरेटर सेट के इस्तेमाल को नियंत्रित किए जाने की जरूरत है।