परमा एकादशी का व्रत अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी व्रत को करने से जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस साल परमा एकादशी व्रत 12 अगस्त 2023, शनिवार के दिन रखा जा रहा है। अधिक मास में पड़ने की वजह से यह एकादशी तिथि तीन साल में एक बार आती है। वैसे हर माह की एकादशी पूजा-पाठ के लिए उत्तम मानी जाती है, लेकिन परमा एकादशी का महत्व कुछ ज्यादा होता है। परमा एकादशी का व्रत जीवन में सुख-समृद्धि की कामना व मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ के साथ ही परमा एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी व्रत कथा इस प्रकार है-

परमा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम पवित्रा था। वह परम सती और साध्वी थी। पति-पत्नी दोनों निर्धनता में जीवन निर्वाह करते हुए भी परम धार्मिक थे और हमेशा अतिथि सेवा में तत्पर रहते थे। एक दिन गरीबी से परेशान होकर ब्राह्मण ने परदेश जाने का विचार किया, किंतु उसकी पत्नी ने कहा- ''स्वामी धन और संतान पूर्वजन्म के दान से ही प्राप्त होते हैं, अत: आप इसके लिए चिंता ना करें।''

फिर कुछ दिन बाद महर्षि कौडिन्य उनके घर आए। ब्राह्मण दंपति ने श्रद्धा भाव से उनकी सेवा की। महर्षि ने उनकी दशा देखकर उन्हें परमा एकादशी का व्रत करने को कहा। उन्होंने कहा- ''दरिद्रता को दूर करने का सुगम उपाय यही है कि, तुम दोनों मिलकर अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करो। इस एकादशी के व्रत से यक्षराज कुबेर धनाधीश बना है, हरिशचंद्र राजा हुआ है।''

ऐसा कहकर महर्षि चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित व्रत किया। इसके बाद प्रात: काल एक राजकुमार घोड़े पर चढ़कर आया और उसने सुमेधा को सर्व साधन, संपन्न, सर्व सुख समृद्ध कर एक अच्छा घर रहने को दिया। इसके बाद उनके समस्त दुख दर्द दूर हो गए। इसलिए परमा एकादशी का व्रत करने से जीवन की तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है I