भोपाल । डायबिटीज का वर्तमान के समय में सबसे बड़ा कारण असमय और जंकफूड का खान पान है। जो शरीर में शर्करा के स्तर को असंतुलित कर के व्यक्ति को डायबिटिक बनाता है। लेकिन क्या आपको पता है डायबिटीज एक ही दिन में नहीं होता, इससे पहले प्री डायबिटिक की स्टेज में आता है। यूं तो माना जाता है कि जो व्यक्ति प्री डायबिटिक है तो उसका डायबिटिक होना तय ही है। क्योंकि प्री- डायबिटीज का मतलब ही खून में शक्कर की मात्रा सामान्य से ज्यादा होना होता है। प्री-डायबिटीक लोगों में से करीब 10 प्रतिशत को आने वाले 10 सालों में डायबिटीज होने की आशंका होती है। प्री-डायबिटीज को ही बार्डरलाइन डायबिटीज भी कहते है। एसे में व्यक्ति प्री-डायबिटीक से डायबीटिक इसलिए बन जाता है क्योंकि वह न तो अपनी जीवनशैली बदलता है और न खानपान पर कंट्रोल करता है। प्री डायबिटिक होने पर शरीर विभिन्न संकेतों के माध्यम से हमें इस समस्या के बारे में सूचित भी करता है लेकिन ध्यान न देने पर डायबिटीज बढऩे लगती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही खानपान और जीवनशैली में सुधार और बदलाव करने से इस समस्या से बाहर निकला जा सकता है।
विशेषज्ञ डा एनएच शर्मा की माने तो एक व्यक्ति में खाली पेट रक्त शर्करा का सामान्य स्तर 100 होता है और भोजन के पश्चात स्तर 140 हो जाता है। अगर किसी व्यक्ति का खाली पेट का स्तर 125 और खाना खाने के बाद का स्तर 178-180 तक आता है तो उसे प्री-डायबिटिक माना जाता है। जिसमें लंबे समय में व्यक्ति के डायबिटिक होने के चांस बढ़ जाते है।
प्री-डायबिटीज को पहचानें
शरीर के विभिन्न अंगों में परिवर्तन के कुछ संकेतों के माध्यम से प्रीडायबिटीज के बारे में इंगित कर देते हैं। डा एनएच शर्मा की माने तों गर्दन पर त्वचा की सिलवटों का रंग गहरा काला होना जिसे अकंथोसिस निगरिकंस कहा जाता है। यह प्री-डायबिटीज़ का सबसे आम संकेत है। इसके अलावा शरीर का वजन ज्यादा होना, पेशाब ज्यादा आना और कमजोरी महसूस होना भी इसी के लक्षण हैं। वहीं जिनका वजन अधिक है या मोटापे से ग्रस्त हैं, जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह हुआ हो, परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा है, 40 साल से अधिक उम्र के लोग और जिन्हें उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्राल की समस्या है, उनमें प्री-डायबिटीज या डायबिटीज होने का जोखिम ज्यादा है।
लाइफस्टाइल भी प्रभावी
व्यक्ति की लाइफस्टाइल भी इसमें काफी प्रभाव डालती है। सुस्त जीवनशैली, मानसिक तनाव, शक्कर का अधिक सेवन, अत्यधिक धूम्रपान एवं शराब का सेवन, पर्याप्त नींद न लेना, नमक का अधिक सेवन प्री-डायबिटीज, डायबिटीज और हृदय से संबंधित समस्याओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह समस्या 18-35 साल के लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। इस मधुमेह में खाली पेट का रक्त शर्करा स्तर ज्यादा आता है और खाना खाने के बाद का शुगर लेवल सामान्य आता है। प्री डायबिटीज के स्तर पर खुद को देख रहे हैं या ऐसा नहीं भी है तब भी डायबिटीज से बचने के लिए एक व्यवस्थित जीवनशैली सबसे ज्यादा जरूरी है। समय से संतुलित भोजन करना, इसके अलावा शारीरिक कसरत या सुबह शाम की सैर शरीर में शर्करा की मात्रा को संतुलित करती है। इसके अलावा विधिवत योग अभ्यास और व्यायाम भी फायदेमंद होते हैं।