त्रिपुरा राजघराने के वंशज और टिपरा मोथा प्रमुख प्रद्योत देबबर्मा ने रविवार को सोशल मीडिया पर बड़ी घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के अध्यक्ष नहीं रहेंगे बल्कि एक साधारण पार्टी सदस्य की तरह काम करते रहेंगे।

बयान जारी कर उन्होंने कहा कि मेरा टिपरा मोथा पार्टी के अध्यक्ष पर के रूप में दो साल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और मैं अब पुनर्नियुक्ति की मांग नहीं कर रहा हूं। हमारे संशोधित संविधान के अनुसार, अध्यक्ष सर्वोच्च संचालन पद होगा। वहीं वरिष्ठ नेता बी के ह्रांगखॉल टिपरा मोथा के अध्यक्ष के रूप में पार्टी का नेतृत्व करेंगे।

उन्होंने कहा कि मैं पार्टी और समुदाय की सेवा करने का अवसर देने के लिए सभी को धन्यवाद देता हूं। मैं परिवार की राजनीति में विश्वास नहीं करता हूं। इसलिए, मेरे परिवार का कोई भी सदस्य संगठन में कोई पद नहीं लेगा। आइए आंदोलन के लिए काम करें, व्यक्तिगत किसी के लिए नहीं।

उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े पांच साल से मैं अपनी जेब से पैसे खर्च करके तिप्रासा लोगों के लिए काम कर रहा हूं। अब, मैं थक गया हूं... मैं एक परिवार बनाना चाहता हूं और मेरी एक बूढ़ी मां भी है। समितियों का गठन करें और अध्यक्ष बी के ह्रांगखॉल के नेतृत्व में अपने आंदोलन को आगे बढ़ाएं। आगे बोले कि जब तक मैं ठीक हूं, मैं आपके साथ रहूंगा। देबबर्मा ने दावा किया कि उनकी मांग के अनुसार ग्रेटर टिपरालैंड राज्य स्वदेशी लोगों के भविष्य को सुरक्षित करेगा। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्य में आदिवासी बहुल क्षेत्र के लिए अधिक धन की भी मांग की।

देबबर्मा त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के वंशज हैं, उन्होंने 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद टिपरा मोथा का गठन किया था। इस क्षेत्रीय पार्टी के पास अब भाजपा शासित राज्य में 60 सदस्यीय विधानसभा में 13 विधायक हैं। राज्य सरकार पर हमला करते हुए, देबबर्मा ने आरोप लगाया कि त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) क्षेत्र, जो राज्य क्षेत्र का दो-तिहाई हिस्सा है और आदिवासियों का घर है, उसको राज्य के वार्षिक बजट का केवल एक छोटा सा हिस्सा मिलता है। उन्होंने सरकार पर बजट में भेदभाव का आरोप भी लगाया।