भोपाल । ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे से सबक लेते हुए रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे से कहा है कि अपने सबसे सीनियर व अनुभवी ट्रेन मैनेजर यानी गार्ड और सेक्शन कंट्रोलर को इस बात की काउंसिलिंग की जिम्मेदारी दी जाए कि वे अन्य गार्ड तथा सेक्शन कंट्रोलरों को यह बताएं कि कठिन परिस्थितियों में किस तरह काम करना है। दरअसल, इस हादसे से सबक लेते हुए और पुनरावृत्तियों को रोकने के उद्देश्य से रेल कर्मचारियों को अब नाजुक हालात संभालने के गुर सिखाए जाएंगे।
रेलवे ने इसे इमरजेंसी यानी आपात उपायों के तौर पर करने के लिए कहा है और प्रक्रिया शुरू करने के तुरंत बाद इसकी रिपोर्ट भी मांगी है। ओडिशा के बालासोर में दो जून की शाम को हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे में लगभग तीन सैकड़ा लोगों की मौत हो गई थी। हादसे की सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। इस बीच रेलवे बोर्ड ने भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए कवायद शुरू कर दी है। बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर ट्रैफिक जेएस शेरावत के सभी जोन के प्रिंसिपल चीफ आपरेशन मैनेजर को अति आवश्यक पत्र जारी किया है। इसमें सभी ट्रेन मैनेजर और सेक्शन कंट्रोलर की काउंसिलिंग के निर्देश दिए गए हैं। बोर्ड ने कहा है कि इस काउंसिलिंग के लिए जोन या डिवीजन के सबसे सीनियर, अनुभवी ट्रेन मैनेजर और सेक्शन कंट्रोलर को जिम्मेदारी दी जाए, जो बाकी ट्रेन मैनेजर और सेक्शन कंट्रोलर को सामान्य एवं असामान्य परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी बेहतर और जिम्मेदाराना तरीके से निभाना सिखा सकें। रेलवे में ट्रेन मैनेजर यानी गार्ड वर्तमान में बेहद कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। उन्हें कमियों के बीच 10 से 15 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है। काम के दौरान वैगन में लदे कोयले, सीमेंट, उर्वरक, फ्लाई ऐश से उडऩे वाली धूल का सामना करना पड़ता है। इस वजह से बड़ी संख्या में गार्ड को दिल के अलावा कई तरह की बीमारियां भी हो जाती हैं।