नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी घोटाले के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में आज बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई। इस मामले में आरोपित दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अब व्यक्तिगत तौर पर पेशी होगी। कोर्ट में अगली सुनवाई से उन्हें व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आदेश दिया है।

जानकारी के मुताबिक, मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी। बता दें कि इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में अर्जी दी थी कि सुरक्षा कारणों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी की इजाजत दी जाए। वहीं, सिसोदिया के वकील ने फिजिकल पेशी की मांग की थी।

दिल्ली हाईकोर्ट से मिला था झटका

उल्लेखनीय है कि इससे पहले 3 जुलाई को आबकारी नीति से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

इस दौरान न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने कहा था कि सिसोदिया मनी लांड्रिंग के तहत जमानत देने की दोहरी शर्तों के साथ-साथ जमानत देने के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने में विफल रहे हैं। इसमें अदालत को यह देखना होता है कि क्या आरोपित के न्याय से भागने, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है या नहीं।

अदालत ने कहा था कि नीतियां वरिष्ठ नौकरशाहों द्वारा राजनीतिक प्रमुखों की देखरेख में बनाई जाती हैं, जबकि मौजूदा मामले में वरिष्ठ नौकरशाह कह रहे हैं कि मार्जिन को पांच से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर कोई चर्चा नहीं हुई।

अदालत ने कहा था कि आबकारी नीति मामला एक अनोखा मामला है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि उपमुख्यमंत्री ने कुछ बाहरी लोगों के कहने पर एक नीति बनाई जो इसके लाभार्थी बनने वाले थे। निचली अदालत के निर्णय को तर्कसंगत करार देते हुए अदालत ने कहा था कि नीतियां बनाते समय बाहरी जनता के पास पहुंच का कोई साधन नहीं होता है।

अदालत ने कहा था कि ईडी का यह भी आरोप है कि सिसोदिया सात मार्च, 2023 को दिए गए बयान में भी मार्जिन प्रतिशत को पांच से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का कोई उचित कारण नहीं बता सके। साथ ही गवाहों के बयानों से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि कुछ बाहरी लोग आबकारी नीति की अवधारणा, निर्माण पर पहले से ही काम कर रहे थे।

"सिसोदिया के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर"

इतना ही नहीं नीति के समर्थन में ईमेल तैयार करने के आरोप से यह स्पष्ट है कि सब कुछ पारदर्शी और वास्तविक तरीके से नहीं किया जा रहा है। अदालत ने आगे कहा कि सिसोदिया के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं और सार्वजनिक धन के भारी नुकसान से जुड़ी गहरी साजिश का आरोप होने के कारण इस मामले को एक अलग दृष्टिकोण से देखा जाना। सिसोदिया की आबकारी नीति से जुड़े सीबीआई व ईडी के मामले में निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।

वहीं, सीबीआई मामले में निचली अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली जमानत याचिका हाईकोर्ट ने 30 मई को खारिज कर दी थी। इसके साथ ही पत्नी के खराब स्वास्थ्य के आधार पर छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत की मांग वाले आवेदन को हाईकोर्ट खारिज कर चुका है।

यह है मामला

सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

22 जुलाई 2022 को एलजी वीके सक्सेना ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसपर सीबीआई ने प्राथमिकी की थी। सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर ईडी मनी लांड्रिंग के आरोप में उन्हें नौ मार्च को गिरफ्तार किया था।