सिवनी की बरघाट विधानसभा से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा कर दी गई है। आदिवासी आरक्षित इस सीट में भाजपा ने पूर्व विधायक कमल मर्सकोले को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया है। लेकिन कमल मर्सकोले को प्रत्याशी घोषित करने के बाद से ही भाजपा की अंदरूनी कलह सामने आने लगी है। 

2018 में सिवनी की बरघाट विधानसभा सीट से कमल मर्सकोले को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया था। लेकिन कमल मर्सकोले की अचानक टिकट काट कर नरेश बरकड़े को भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी बनाया गया था। लेकिन नरेश बरकड़े चुनाव हार गए। हाल ही में भाजपा ने अपने 39 सीटों के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। बरघाट से पूर्व भाजपा विधायक कमल मर्सकोले को अधिकृत प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं, बरघाट विधानसभा से पिछला चुनाव हार जाने के बाद पूर्व भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान में दावेदार नरेश बरकड़े का दर्द उस समय छलक पड़ा जब उनका नाम प्रत्याशियों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया।

पूर्व भाजपा प्रत्याशी नरेश बरकड़े का कहना है कि उन्हें टिकट मिलने के बाद चुनाव के लिए कम समय मिला और वह महाकौशल संभाग में करीब सात हजार के वोटों के अंतर से चुनाव हारने वाले प्रत्याशी रहे थे। इसके अलावा वर्तमान भाजपा प्रत्याशी कमल मर्सकोले पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कमल मर्सकोले का टिकट कट जाने के बाद कमल मर्सकोले के द्वारा उनके विरोध में कार्य किया गया, जिसके परिणाम स्वरुप उनको हार का सामना करना पड़ा।

इसके अलावा पूर्व भाजपा प्रत्याशी नरेश बरकड़े ने पार्टी की मौजूदा चयन प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए हैं। नरेश बरकड़े ने बिना नाम लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर कटाक्ष भी किया है। नरेश बरकड़े ने अपनी पार्टी पर भी परिवार वाद हावी होने की भी बात कही है। नरेश बरकड़े ने कहा कोई बड़ा नेता उनकी मदद करता तो शायद उनको ही टिकट मिल जाता। नरेश बरकड़े की प्रतिक्रिया सामने आने के बाद पार्टी की अंदरूनी कलह सामने आ गई है। नरेश बरकड़े का कहना है कि वह भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हैं, भले ही उनको टिकट नहीं मिली है। लेकिन फिर भी वह भाजपा के लिए काम करते रहेंगे।