अधिकारी बदल गए आखिर कब बदलेगा स्थानांतरण का ढर्रा 

ग्वालियर ! मप्र की मोहन सरकार ने पहली बार परिवहन आयुक्त एवं उपायुक्त परिवहन (प्रवर्तन) के पद पर एडीजी रैंक के आईपीएस अधिकारियों को पदस्थ किया है निश्चित ही इसके पीछे विभाग को लेकर मुख्यमंत्री की कोई खास मंशा रही होगी ! बता दें कि आईपीएस डीपी गुप्ता को विभाग का ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और आईपीएस उमेश जोगा को एडिशनल टी सी पद की जिम्मेदारी दी गई है! जिन्हें अपना पद संभाले हुए एक माह से ज्यादा समय व्यतीत हो गया लेकिन छवि के अनुरूप विभाग के प्रचलित ढर्रे में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है! इतना तो तय है कि अधिकारियों ने इतने दिनों में इस विभाग के लिए शासन द्वारा निर्धारित पॉलिसी और उस पर अतिक्रमण का अध्ययन भलीभांति कर लिया होगा, फिर इन अधिकारियों का वह तीखा अंदाज यहां क्यों दिखाई नहीं दे रहा जो पुलिस महकमे में रहते हुए दिखाई देता था ! यहां तक कि प्रवर्तन शाखा का वह मैदानी अमला जो मुख्यालय में या क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों में और परिवहन आयुक्त कैंप कार्यालय भोपाल में अटेच है, ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को रोटेशन पॉलिसी के किस नियम के तहत मैदानी क्षेत्र में पदस्थापना से वंचित करके दंडित किया जा रहा है, यह सोचने वाली बात है ! वहीं वर्षों से लागू रोटेशन पॉलिसी कैसे और क्यों लागू नहीं की जा रही इस पर भी कोई स्थिति स्पष्ट नजर नहीं आ रही है! अब सवाल उठता है कि इतने बड़े बदलाव के बाद भी क्या उन्ही लोगों का विभाग पर आधिपत्य बरकरार रहेगा, जिनके इशारों पर पिछले कुछ वर्षों से विभाग में प्रचलित रोटेशन स्थानांतरण प्रक्रिया को शिथिल करके अघोषित बदलाव के साथ सिंगल ट्रांसफर पॉलिसी अपनाई जा रही है तथा वेरियर से वेरियर स्थानांतरण किए जा रहे हैं, क्या इस तरह की वयवस्था से विभाग की छवि को धूमिल होने दिया जा रहा है,जिसका असर कहीं न कहीं जिम्मेदारों की छवि को भी प्रभावित करता है ! बता दें कि जब से विभाग की स्थानांतरण प्रक्रिया में चंद अधिकारियों और उनके चेलों का दखल हुआ है तभी से रोटेशन पॉलिसी को हटाकर मनमानी स्थानांतरण प्रक्रिया को बल मिला है, साथ ही निजी हितों के वशीभूत अधिकारियों ने उस पर अंकुश लगाने के बजाय उन्ही के सुर में सुर मिला दिए ! नतीजतन मैदानी अमले के ट्रैक रिकॉर्ड में गुण-दोष को आधार बनाकर अपनाई जाने वाली शासन द्वारा निर्धारित रोटेशन पॉलिसी को किनारे कर दिया गया और विभाग में धाक जमाए बैठे अघोषित ठैकेदारों की मनमानी हावी हो गई! फिलहाल उम्मीद की जा सकती है कि विभाग को मिले तेजतर्रार अधिकारी द्वै इस मकड़जाल को खत्म कर स्वच्छ व्यवस्था को फिर से बहाल करेंगे ! 

कब हटेगा पर्दा रोटेशन पॉलिसी से

मार्च महिने की 10 और 11 तारीख को सिंगल ट्रांसफर पॉलिसी अपनाते हुए विभाग द्वारा 8 से ज्यादा लोगों के स्थानांतरण आदेश जारी किए गए, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या परिवहन उपनिरीक्षकों की रही, इसमें भी सबसे बड़ी बात यह रही कि इन्हें न सिर्फ वेरियर से वेरियर स्थानांतरित किया गया बल्कि टॉप ग्रेड के चेकपोस्ट दिए गए ! जबकि विभाग में ऐसे दर्जनों परिवहन निरीक्षक और उपनिरीक्षक है जो चेकपोस्ट का रास्ता तक भूल चुके हैं! मजे की बात यह है कि बेहतर प्रबंधन की बात करने वाले भी आज तक इस बात का कोई ठोस कारण नहीं बता पाए कि कुछ अधिकारियों को लगातार  उपकृत क्यों किया जा रहा है और कुछ अधिकारी क्यों लगातार आउट लाइन में रहकर दंडित हो रहे हैं!