भोपाल ।   नगर निगम को एनजीटी द्वारा लगाए गए 1.80 करोड़ रुपये के जुर्माने को माफ कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना महंगा पड़ गया। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए न केवल मामला वापस कर दिया, साथ ही यह भी कहा कि आप दो महीने में साबित करें कि आदमपुर छावनी लैंडफिल साइट में सब ठीक है, वरना हम पता लगवा लेंगे। कोर्ट ने कहा कि इसके साथ ही यह भी तय किया जाएगा कि कितना जुर्माना लगाना है।

सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी

बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 31 जुलाई को लगाई गई 1.80 करोड़ रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (जुर्माने) पर स्टे लेने के लिए निगम ने 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसकी सुनवाई तीन अक्टूबर को हुई। इसमें एनजीटी में याचिका लगाने वाले पर्यावरणविद डा. सुभाष सी पांडे भी शामिल हुए।

निगम ने सुनवाई में रखा अपना पक्ष

सुनवाई में निगम ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि आदमपुर छावनी लैंडफिल साइट में करीब सात लाख टन कचरा डंप था। वर्तमान में एक लाख टन कचरा ही बचा है। ऐसे में उन्हें एनजीटी द्वारा लगाए गए जुमार्ने पर स्टे दिया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निगम से सवाल किया कि पहले ये बताएं कि लैंडफिल साइट में सालिड वेस्ट मैंनेजमेंट करने पर एसवीएम रूल्स 2016 का पालन किया गया है या नहीं। इस पर निगम कोई जवाब नहीं दे सका। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले आप जवाब दें कि आपने नियमों का पालन किया है या नहीं, उसके बाद स्टे की मांग पर विचार किया जाएगा।

अपना हलफनामा पेश किया निगम ने

नगर निगम ने एक दिसंबर 2023 को हुई सुनवाई में अपना हलफनामा पेश किया, लेकिन कोर्ट ने कहा कि हलफनामे से स्पष्ट होता है कि आपने सालिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का पालन नहीं किया है। लैंडफिल साइट में जितना कचरा पहुंच रहा है, उसका प्रतिदिन निष्पादन नहीं हो पा रहा है। निगम का तर्क था कि वह बेहतर हलफनामा पेश कर सकता है, जिसके लिए और समय चाहिए। इस पर कोर्ट ने दो महीने का समय देते हुए कहा कि ये आखिरी मौका है।