काबुल। अफगानिस्तान में महिलाओं को व्यभिचार के लिए सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाएंगे। इतना ही नहीं, पत्थर मारकर उस स्त्री की हत्या कर दी जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पश्चिमी लोकतंत्र के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की भी कसम खाई है और इस आश्य का फरमान जारी कर दिया है। तालिबान कहीं अफगानिस्तान को अंधकार युग में वापस लेकर न चला जाए, यह आशंका लंबे वक्त से जताई जा रही है। मगर, अब यह डर सच साबित होता नजर आ रहा है। दरअसल, तालिबान सुप्रीमो मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा ने सरकारी टेलीविजन पर नया संदेश जारी किया है। 
इसके अलावा संवाददाताओं को भेजे गए निमंत्रण में कहा गया है कि ‘बहनों के लिए उपयुक्त जगह की कमी के कारण, हम महिला पत्रकारों से माफी मांगते हैं।’ अखुंदजादा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मिल रहे महिलाओं के अधिकार तालिबान की इस्लामी शरिया कानून के विरोधाभासी हैं। उन्होंने कहा, क्या महिलाएं उस तरह के अधिकार चाहती हैं जिनके बारे में पश्चिमी लोग बात कर रहे हैं? वे शरिया और मौलवियों की राय के खिलाफ हैं, जबकि मौलवियों ने पश्चिमी लोकतंत्र को उखाड़ फेंका। तालिबान प्रमुख के मुताबिक, हमने मुजाहिदीन से कहा कि हम पश्चिमी लोगों से कहते हैं कि आपके खिलाफ 20 साल लड़ाई लड़ी। हम आपके खिलाफ 20 या उससे भी अधिक बरसों तक लड़ेंगे। यह खत्म नहीं होने वाला है। हम इस धरती पर शरिया लाएंगे। गौरतलब है कि अफगानिस्तान के विद्यालयों में बुधवार को लड़कियों के बिना ही नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया। दरअसल, तालिबान ने छठी कक्षा से आगे की कक्षाओं में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगा दी है। महिला शिक्षा पर रोक लगाने वाला अफगानिस्तान दुनिया का इकलौता देश है। संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी के मुताबिक, प्रतिबंध से 10 लाख से अधिक लड़कियां प्रभावित हुई हैं। एजेंसी का यह भी अनुमान है कि सुविधाओं की कमी और अन्य कारणों से तालिबान के कब्जे से पहले ही 50 लाख लड़कियां विद्यालय छोड़ चुकी थीं। तालिबान के शिक्षा मंत्रालय ने नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत एक समारोह के साथ की जिसमें महिला पत्रकारों को शामिल होने की अनुमति नहीं थी।