दिल्ली यातायात पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में ई-रिक्शा को लोगों के लिए खतरानक माना है। ई-रिक्शा में बैठने वाली सवारियां ही नहीं सड़क पर चलने वाले अन्य यात्री भी इस खतरे से अछूते नहीं हैं।

रिपोर्ट में कहा है कि ई-रिक्शा ज्यादातर बस स्टैंड और मेट्रो स्टेशनों के पास खड़े रहते हैं और सवारियों से पूरी तरह भर जाने तक नहीं चलते। इस वजह से सड़क पर अवरोध उत्पन्न होता है।

ई-रिक्शा का गैर-लाइसेंसधारी, अप्रशिक्षित, कम उम्र के चालकों द्वारा संचालन इन्हें बेहद खतरनाक बना देता है। ई-रिक्शा में बैठे यात्री भी असुरक्षित होते हैं। इनकी बैटरी भी असुरक्षित तरीकों से चार्ज की जाती हैं। साथ ही यातायात के सुचारू रूप से संचालन में ई-रिक्शा सबसे ज्यादा रोड़ा बनते हैं।

ई-रिक्शा चालकों ने इस वर्ष 53 प्रतिशत ज्यादा नियमों को तोड़ा ई-रिक्शा चालकों ने वर्ष 2022 की तुलना में इस वर्ष 53 प्रतिशत ज्यादा नियमों का उल्लंघन किया और वर्ष 2021 की तुलना में 113 प्रतिशत ज्यादा नियमों को तोड़ा। सबसे ज्यादा मामले अवैध पार्किंग के देखने को मिले। वर्ष 2023 में अवैध पार्किंग के 70463 उल्लंघन दर्ज हुए, जो वर्ष 2022 में 35828 और 2021 में 19357 की तुलना में अधिक है। इसके साथ ही प्रतिबंधित सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई।

इसके अलावा बिना बीमे के वाहन भी सड़कों पर दौड़ते दिखाई दिए। तिलक नगर सर्कल में हुआ सबसे ज्यादा नियमों का उल्लंघन यातायात के सुचारू रूप से संचालन में ई-रिक्शा सबसे ज्यादा रोड़ा बनते हैं। दिल्ली के शीर्ष दस क्षेत्रों में चार वर्षों में ई-रिक्शा द्वारा सबसे ज्यादा उल्लंघन तिलक नगर क्षेत्र में हुए हैं। इसके बाद कोतवाली क्षेत्र है। फिर नजफगढ़ और सबसे कम उल्लंघन मंगोलपुरी इलाके में हुआ।

ई-रिक्शा चालकों ने इस वर्ष 53 प्रतिशत यातायात नियमों का ज्यादा किया उल्लंघन

ई-रिक्शा चालकों ने वर्ष 2022 की तुलना में इस वर्ष 53 प्रतिशत ज्यादा नियमों का उल्लंघन किया और वर्ष 2021 की तुलना में 113 प्रतिशत ज्यादा नियमों को तोड़ा। सबसे ज्यादा मामले अवैध पार्किंग के देखने को मिले। वर्ष 2023 में अवैध पार्किंग के 70,463 उल्लंघन दर्ज हुए, जो वर्ष 2022 में 35,828 और 2021 में 19,357 की तुलना में अधिक है।

इसके साथ ही प्रतिबंधित सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई। इसके अलावा बिना बीमे के वाहन भी सड़कों पर दौड़ते दिखाई दिए।