प्रयागराज: पाकिस्तान से कारगिल में अघोषित युद्ध की 24वीं बरसी आज 26 जुलाई को है। इस युद्ध में हमारे वीर जवानों ने वीरता का परिचय देते हुए विजयश्री पाई थी। उस युद्ध में शामिल 30 जवान प्रयागराज में रहते हैं। जबकि पतुलती गांव निवासी लालमणि यादव ने अपने प्राण का न्यौछावर कर दिया था।

वीरगति प्राप्त जवान को फौजियों ने विजय दिवस की पूर्व संध्या पर कैंट में श्रद्धांजलि अर्पित की और युद्ध के दौरान के अपने अनुभव साझा किए। आज भी सबके हौसले बुलंद हैं।

वीर सेनानी पूर्व सैनिक कल्याण समिति की ओर से हुई श्रद्धांजलि सभा में कारगिल युद्ध विजेता सूबेदार मेजर बीएन सिंह ने बताया कि वह उस समय सिग्नल रेजीमेंट में पुंछ में तैनात थे। उनकी जिम्मेदारी थी के दुश्मनों का सिग्नल ब्रेक करना और अपने जवानों को रास्ता दिखाना।

रेडियो के जरिए सुनते थे दुश्मनों की बातें

रेडियो के जरिए हम दुश्मनों की बातें सुनते थे और उसकी जानकारी अपने जवानों तक पहुंचाते थे। रेडियो जैमर के जरिए इस काम को बहुत सावधानी से करते थे। सिग्नल की रिपोर्ट के बाद ही सेना आगे बढ़ती थी।

कारगिल विजेता पूर्व सूबेदार श्याम सुंदर सिंह पटेल ने बताया कि वह गिलगित पहाड़ी पर थे। 18000 फीट की ऊंचाई पर युद्ध लड़ा जा रहा था। पाकिस्तान की सेना पहाड़ी के ऊपर थी और हमारी सेना नीचे। ऊपर चढ़ना मुश्किल था। वायुसेना ने पहाड़ी पर बम गिराए तो पाकिस्तानी भाग खड़े हुए और मौका पाते ही भारतीय सेना ऊपर चढ़ गई।

60 डिग्री पहाड़ी पर की थी चढ़ाई

कारगिल युद्ध विजेता सूबेदार ईश्वर चंद तिवारी ने बताया कि यह अघोषित युद्ध था। फिर भी हम वीरता से लड़े और जीते भी। बताया कि वह इंजीनियरिंग विंग में थे और पैदल सेना का सहयोग कर रहे थे। उस लड़ाई में 60 डिग्री की ऊंचाई वाली पहाड़ी पर चढ़े। उसमें बोफोर्स की तोप बहुत काम आयी थी। उस तोप ने तो जंग जिता दी थी। इस मौके पर अन्य वीर जवानों अपने अनुभव साझा किए।

श्रद्धांजलि देने वालों में कारगिल युद्ध विजेता सूबेदार गुनई यादव, बीएल यादव, हवलदार एसपी श्रीवास्तव, लेफ्टिनेंट मोहम्मद शाहिद उस्मानी, कैप्टन एके सिन्हा, जयंत सिंह कुशवाहा, प्रमोद सिंह आदि थे।