मुंबई । एक वक्त खाना खाऊंगा, लेकिन एनसीपी को फिर से खड़ा करूंगा। भतीजे अजित पवार की बगावत के बाद पार्टी को फिर से खड़ा करने में जुटे शरद पवार के ये शब्द हैं। शरद पवार इस पर अमल भी करते दिख रहे हैं। इतना ही नहीं पवार नेताओं की भी नई पीढ़ी खड़ी करने की कोशिश है, जो उनके परिवार के भी हैं और करीबी भी हैं। इन नेताओं में 4 लोगों के नाम चर्चा में हैं, जिसमें सबसे प्रमुख चेहरा रोहित पवार हैं, जो शरद पवार के बड़े भाई के पोते हैं।
शरद पवार को भरोसा है कि वहीं पार्टी के चेहरे हैं, और बगावत के बाद भी वोटर उन्हें ही असली एनसीपी मानते हुए वोट देगा। इसके साथ ही वह भविष्य के लिए सुरक्षित रास्ता तलाशते हुए नए चेहरों को प्रमोट कर रहे हैं। इसमें रोहित पवार अहम हैं, जो विधायक भी हैं और अक्सर सुप्रिया सुले के साथ पार्टी की अहम मीटिंगों में रहते हैं। 37 साल के पवार कारजात सीट से विधायक हैं। एनसीपी के सूत्र कहते हैं कि शरद पोते रोहित को राज्य स्तर पर नेतृत्व के लिए तैयार कर रहे हैं।बताया जा रहा हैं कि रोहित को प्रमोट किए जाने से भी अजित पवार असहज महसूस कर रहे थे। 
रोहित के अलावा पूर्व गृह मंत्री आरआर पाटिल के बेटे रोहित पाटिल की भी शरद पवार आगे बढ़ाने की कोशिश में हैं। रोहित ने कहा कि भले ही कुछ बड़े नेता पार्टी छोड़कर गए हैं, लेकिन जनता शरद पवार साहब के साथ है। उन्होंने कहा कि हम लोगों के बीच ही जाएंगे, जो पार्टी की रीढ़ हैं। वह कहते हैं,मेरे पिता किसी राजनीतिक बैकग्राउंड से नहीं थे। लेकिन शरद पवार साहब ने उन्हें गृहमंत्री बनाया गया था। मैं अपने पिता की जिंदगी को दिशा देने में उनके रोल को कैसे भूल सकता हूं? अब यह मेरी जिम्मेदारी है कि मुश्किल वक्त में पवार साहब के साथ रहें।
एनसीपी छात्र संघ की नेता सोनिया दुहन को भी शरद के करीबी नेताओं में माना जाता है। 31 साल की सोनिया दुहन दिल्ली स्थित दफ्तर की भी इंचार्ज हैं। 2019 में जब अजित पवार ने बगावत की थी, तब सोनिया दुहन ने कई विधायकों को राजी किया था और उन्हें गुरुग्राम के होटल से मुंबई ले गई थीं। कभी भाजपा में रहे एकनाथ खडसे की बेटी रोहिणी खडसे को भी शरद पवार ने पार्टी के लिए काम करने को कहा है। यही नहीं रोहिणी ने जलगांव के दौरे पर आए देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के खिलाफ आंदोलन भी किया था, तब उन्हें हिरासत में ले लिया गया।