भगवान के मंदिरों में कई तरीके के चढ़ावे चढ़ते हुए तो आपने देखा होगा. लेकिन क्या आपने भगवान के मंदिर में काला सोना चढ़ते हुए देखा है. आज हम आपको इसी काले सोने के बारे में बताने जा रहे हैं, जो चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ मंदिर में चढ़ता है.

दरअसल चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में अफीम की खेती बहुत अधिक की जाती है, जिसे काला सोना भी कहा जाता है. फसल की अच्छी पैदावार होने पर किसानों द्वारा भगवान के मंदिर में यह फसल भेंट की जाती है. इस वर्ष कई किसानों की अफीम की फसल अच्छी हुई है. इसी कारण मंदिर में यह फसल भेंट करते हुए किसान नजर आ रहे हैं.

अच्छी फसल के लिए किसान मांगते हैं मन्नत
चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ मंदिर क्षेत्र में अधिक मात्रा में किसान परिवार रहते हैं. हर वर्ष अफीम की खेती के लिए सरकार द्वारा इन्हें पट्टे जारी किए जाते हैं, लेकिन मौसम की मार और परेशानियों के चलते कई बार फसलों में नुकसान भी होता है. ऐसे में फसलों को नुकसान नहीं पहुंचे और उन्हें फसल का लाभ मिल सके, इसी के लिए वह भगवान सांवलिया सेठ से मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर उन्हें फसल उपहार स्वरूप भेंट करते हैं.

मंदिर के दान पत्र से निकलती है करोड़ों रुपए की अफीम
बता दें कि किसान हर साल अच्छी पैदावार के लिए सांवलिया जी को अफीम चढ़ाते है और मन्नत मांगते हैं. वहीं सांवलिया जी के दान पात्र में करोड़ों की अफीम निकलती है. साथ ही सांवलिया जी के दरबार में लोग चांदी के डोडे भी चढ़ाकर जाते हैं. हर माह सांवलिया सेठ के दान पात्र से करोड़ों रुपए का दान भी निकलता है, जो राजस्थान के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है.