नई दिल्ली। यमुना किनारे अंतिम संस्कार के लिए बने तीन श्मशान घाट बंद होने का बोझ सीधे तौर पर पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर से लेकर मौजपुर और कड़कड़डूमा शवदाह गृह पर पड़ने लगा है। पहले इन शवदाह गृह में जहां 4-5 अंतिम संस्कार होते थे, वहां बृहस्पतिवार को 12-15 अंतिम संस्कार हुए हैं। वर्तमान हालातों को देखकर शवदाह गृहों पर 15 दिन तक का लकड़ियों का स्टाक पूरा कर लिया गया है। साथ ही भविष्य में स्थिति बिगड़ने पर जरुरत पड़े तो उसका भी इंतजाम शवदाह गृह संचालकों द्वारा कर लिया गया है।

इस कारण बढ़ा बोझ

यमुना किनारे श्मशान घाट होने को लेकर यहां पर अंतिम संस्कार कराने की मान्यता है। इसकी वजह बड़ी संख्या में एनसीआर से लोग इन श्मशान घाटों का रुख करते थे। चूंकि अब यह बंद हो गए हैं तो लोग अपने घर के आस-पास ही शवदाह गृहों का उपयोग कर रहे हैं। मौजपुर में शवदाह गृह जिसमें औसतन चार के करीब अंतिम संस्कार होते थे। शाम चार बजे तक यहां पर 12 अंतिम संस्कार हुए हैं। इसी प्रकार कड़कड़डूमा में दो दिन अंतिम संस्कार औसतन हुआ करते थे वहां बृहस्पतिवार को 15 अंतिम संस्कार हुए हैं। इसी प्रकार गाजीपुर में अंतिम संस्कार की संख्या बढ़ गई है। शवदाह गृह संचालकों का कहना है कि उनके पास लकड़ियों का पर्याप्त स्टाक है। साथ ही हमने दिल्ली वन विभाग से लेकर स्थानीय लकड़ी के सप्लायर से बात कर रखी है। उन्होंने कहा कि मेरठ से लेकर हरिद्वारा आदि इलाकों से लकड़ी आने का कार्य कावड़ यात्रा के दौरान प्रभावित है। फिर भी वह अपना इंतजाम कर रहे हैं। निगम बोध से लेकर गीता कालोनी और वजीराबाद में प्रतिदिन 140 के करीब अंतिम संस्कार होते थे। चूंकि पुरानी दिल्ली के लोग अब एनसीआर के विभिन्न इलाकों में जाकर बस गए हैं फिर भी वह अपनी पुरानी मान्यता के चलते अंतिम संस्कार के लिए निगम बोध का ही रुख करते हैं।