कोलकाता । केन्द्र के समान वेतन की मांग करते हुए पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार के कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। कर्मचारी केंद्र सरकार के समकक्षों के बराबर महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाने और उस पर मिलने वाले बकाये की भी मांग कर रहे हैं। उन्होंने अपनी मांगों पर दबाव डालने के लिए राज्य सरकार के मंत्रियों और विधायकों के वेतन में 40,000 रुपये प्रति माह बढ़ोतरी को मुख्‍य एजेंडा बनाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को सभी मंत्रियों और विधायकों के वेतन में 40,000 रुपये प्रति माह की भारी बढ़ोतरी की घोषणा की। इसके बाद विधायकों को वेतन, भत्ते सहित मिलने वाला मासिक भुगतान मौजूदा 81,000 रुपये से बढ़कर 1.21 लाख रुपये हो जाएगा। जब‎कि मंत्रियों को मिलने वाला मासिक भुगतान मौजूदा 1.10 लाख रुपये से बढ़कर 1.50 लाख रुपये हो जाएगा। डीए मुद्दे पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राज्य सरकार के कर्मचारियों के संयुक्त मंच के संयोजक भास्कर घोष ने कहा कि जहां राज्य सरकार फिजूलखर्ची और टालने योग्य खर्चों के पीछे करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, मगर राज्य सरकार के कर्मचारियों को उनके वैध बकाये से वंचित कर रही है। 
कर्मचा‎रियों ने कहा ‎कि राज्य सरकार के पास मंत्रियों और विधायकों के वेतन में इतनी भारी बढ़ोतरी के लिए पर्याप्त पैसा है, लेकिन हमारे डीए का भुगतान करने के लिए उसके पास पर्याप्त पैसा नहीं है। हम आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे, जिसमें काम बंद करना भी शामिल होगा और मंत्रियों और विधायकों के वेतन वृद्धि का मुद्दा हमारा प्रमुख एजेंडा होगा। आगामी आंदोलन कार्यक्रम में 10 सितंबर को सभी जिलों में पुलिस स्टेशनों का घेराव, 18 सितंबर को सभी खंड विकास कार्यालयों के सामने रैली, 24 सितंबर को राजभवन तक मार्च और 10 अक्टूबर और 11 अक्टूबर को दो दिवसीय काम बंद करना शामिल है। 
इधर पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि भाजपा के विधायक इस बढ़े हुए वेतन को अस्वीकार कर देंगे। मुख्यमंत्री की घोषणा के तुरंत बाद अधिकारी ने कहा था  ‎कि हम इस बढ़े हुए वेतन को पाने के खिलाफ हैं। हमारी विधायी टीम ने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस से मुलाकात की है और उनसे गुरुवार को सदन में पारित मंत्रियों और विधायकों के वेतन वृद्धि के प्रस्ताव पर सहमति नहीं देने का अनुरोध किया है।