धर्म शास्त्रों के अनुसार हर शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है लेकिन सावन का आखिरी शुक्रवार मां लक्ष्मी की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को वरलक्ष्मी व्रत के नाम से जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन महालक्ष्मी अपने भक्तों पर विशेष कृपा करती हैं। साधक को धन, ऐश्वर्य, सौंदर्य, सुख और समृद्धि की कभी कमी नहीं होती। आइए जानते हैं इस साल की तिथि, पूजा मुहूर्त, वरलक्ष्मी व्रत का महत्व। वरलक्ष्मी व्रत 2023 तिथि साल 2023 में वरलक्ष्मी व्रत 25 अगस्त 2023, सावन के आखिरी शुक्रवार को मनाया जाएगा। वरलक्ष्मी व्रत उत्तर भारत के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उड़ीसा में भी बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

 

वरलक्ष्मी व्रत 2023 मुहूर्त
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (सुबह) - 05:55 पूर्वाह्न - 07:42 पूर्वाह्न
वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (दोपहर) - 12:17 अपराह्न - 02:36 अपराह्न
कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त (शाम) - 06:22 अपराह्न - 07:50 अपराह्न
वृषभ विवाह पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि) - रात्रि 10:50 बजे - रात्रि 12:45 बजे, 26 अगस्त

वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार मां लक्ष्मी का वरलक्ष्मी अवतार कलियुग में सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला बताया गया है। वरलक्ष्मी को भगवान विष्णु की पत्नी माना जाता है। मान्यता है कि मां वरलक्ष्मी का यह व्रत करने से अष्टलक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यहां तक ​​कि व्यक्ति के जीवन से गरीबी का साया भी दूर हो जाता है और उसकी पीढ़ियां भी लंबे समय तक सुखी जीवन व्यतीत करती हैं।

 

कौन हैं माता वरलक्ष्मी?
पुराणों के अनुसार, देवी वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीर सागर से हुई थी। कहा जाता है कि देवी वरलक्ष्मी का स्वरूप अत्यंत आकर्षक है। इसका रंग शुद्ध जल के समान दूधिया है और यह सोलह रत्नों और मणियों से सुशोभित है। यह भी माना जाता है कि यह व्रत उन लोगों के लिए बहुत शुभ माना जाता है जो कर्ज, गरीबी आदि समस्याओं से परेशान हैं।

वरलक्ष्मी व्रत पूजा मंत्र
वरलक्ष्मिर्महादेवी सर्वकाम-प्रदायिनी
यन्मय च कृतं देवी पारुणं कुरुश्व तत्