कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने बुधवार को महिला आरक्षण बिल पर बहस की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि हम महिला आरक्षण का समर्थन करते हैं, लेकिन इसमें ओबीसी, दलित और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के प्रतिनिधित्व का भी ध्यान रखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग की महिलाओं के आरक्षण की भी अलग से बात होनी चाहिए। यही नहीं इस दौरान उन्होंने महिला आरक्षण की पहल का क्रेडिट भी कांग्रेस को दिया। उन्होंने पूर्व पीएम राजीव गांधी को याद करते हुए कहा, 'मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी अपने दौर में कानून लाए थे, जिसके तहत महिलाओं को पंचायतों में आरक्षण मिला और उसी के बाद महिला आरक्षण के लिए भूमिका तैयार हुई।'

रायबरेली की सांसद ने इस दौरान कहा कि नारियों का यदि हमें सम्मान करना है और उनके योगदान को नमन करना है तो यही एक तरीका है। उन्होंने कहा कि आजादी से लेकर आज तक महिलाओं का देश के लिए बड़ा योगदान रहा है। इस दौरान सोनिया गांधी ने सरोजिनी नायडू, विजयलक्ष्मी पंडित, इंदिरा गांधी जैसी महिलाओं के योगदान को भी याद किया। यही नहीं सोनिया गांधी ने कहा कि महिला आरक्षण की पहल तो कांग्रेस ने ही की थी और हमेशा महिलाओं को पार्टी में आगे रखा।

बता दें कि इससे पहले मंगलवार को भी सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कहा था कि यह तो हमारा ही बिल है। इसके बाद बुधवार को जब बिल पर बहस की शुरुआत हुई तो खुद सोनिया गांधी ने ही लीड किया। वह करीब दो दशक तक कांग्रेस की अध्यक्ष रही हैं और अब उन्होंने महिला होने के नाते खुद ही आगे बढ़कर नेतृत्व किया। वहीं भाजपा की ओर से सोनिया गांधी के बाद निशिकांत दुबे ने बहस को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण के लिए सुषमा स्वराज और गीता मुखर्जी का योगदान रहा है। इन दोनों महिला नेताओं ने इसके लिए आंदोलन किया था।

उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल के लिए क्रेडिट लेने की कोशिश की, लेकिन सुषमा स्वराज और गीता मुखर्जी का जिक्र नहीं किया। उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन में तो 26 दल हैं। इसी गठबंधन की पार्टी के एक दिवंगत नेता ने महिला आरक्षण को लेकर कहा था कि यदि यह लागू हुआ तो परकटी महिलाएं आ जाएंगी। इससे समझा जा सकता है कि महिलाओं को लेकर इनकी क्या सोच रही है।

यही नहीं सोनिया गांधी ने इस बिल को लाने में देरी का भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी नारी शक्ति वंदन अधिनियम का समर्थन करती है। हमें खुशी होगी, यदि बिल पास हो जाए। लेकिन हम यह पूछना चाहते हैं कि 13 साल तक महिलाओं को इसके लिए इंतजार करना पड़ा। अब उन्हें कुछ और सालों के लिए वेट करने को कहा जा रहा है। आखिर यह इंतजार कितने सालों का होगा। 2,3,6 या फिर 8 साल का? यह तो बताना ही चाहिए।'उन्होंने यह भी कहा कि इस बिल में ओबीसी, एससी, एसटी महिलाओं के लिए भी आरक्षण की बात होनी चाहिए। इसके साथ ही जाति जनगणना भी होनी चाहिए। अब महिलाओं के साथ न्याय में कोई देरी ठीक नहीं है।