11 सितंबर को विंध्य, महाकौशल और मालवा में दिखा महिलाओं में गजब उत्साह, ग्वालियर-चंबल और इंदौर संभाग में भी सक्रिय भागीदारी 

अलीराजपुर ।   मध्य प्रदेश में जन आशीर्वाद यात्रा जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। भव्य स्वागत और जबरदस्त जोश हर यात्रा में देखने को मिल रहा है। इन यात्राओं में उमड़ी भीड़ देखकर लग रहा है कि भाजपा की डबल इंजन सरकार का ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ वाला नारा सफल हो रहा है। भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश में संचालित आदिवासी कल्याण और विकास की योजनाओं के साथ ही लाडली बहना योजना और लाडली लक्ष्मी योजनाओं का पूरा लाभ भी आदिवासी महिलाओं को मिला है। यही वजह है कि आदिवासी बहुल इलाकों में भी जन आशीर्वाद यात्रा में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है और भाजपा को इन योजनाओं के जरिए नारी शक्ति का जबरदस्त सहयोग मिल सकता है। 

अलीराजपुर की सवा लाख बहनों के खाते में खुशियां

अलीराजपुर जैसे आदिवासी बहुल इलाके में महिलाओं की जबरदस्त भागीदारी से साफ नजर आ रहा है कि लाड़ली बहना योजना भाजपा के लिए गेम चैंजर साबित हो सकती है। सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो अलीराजपुर जिले में ही लाडली लक्ष्मी योजना के तहत 44701 और लाडली बहना योजना के माध्यम से अब तक 125567 महिलाओं को लाभ मिल रहा है। जिले में भाजपा सरकार ने केवल लाडली बहना योजना के जरिए 11 करोड़ 81 लाख रुपये अब तक बैंक खाते में अंतरण किये हैं।

हर यात्रा में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी

11 सितंबर को विंध्य, महाकौशल, मालवा, ग्वालियर-चंबल और इंदौर संभाग में भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने यह संकेत दिया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ जिस प्रकार उन तक पहुंचा है, उसके कारण ही जन आशीर्वाद यात्रा में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। सोमवार को यह यात्रा तीन आदिवासी बहुल इलाकों में पहुंची थी, जहां यात्रा के स्वागत करने और नेतृत्व में आदिवासी महिलाएं बढ़-चढ़कर आगे आती हुई दिखीं। 

सड़क पर दौड़ता विकास

डबल इंजन की सरकार ने आदिवासियों के विकास के लिए अन्य योजनाओं में भी काफी मद दिया है। केवल अलीराजपुर में ही मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत 69.21 किलोमीटर सड़क बनाई गई है और प्रधानमंत्री सड़क योजना में ये आंकड़ा 1225.08 किलोमीटर तक पहुंच चुका है। इससे यहां के लोगों को आवागमन में काफी सहूलियत हो गई है। सड़क निर्माण से इलाके में आवाजाही आसान हुई है और यही वजह है कि आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार भी बढ़ रहा है।