नामांकन में विश्वनाथ का न आना, अखिलेश सिंह का इस्तीफा  रमेश के लिए खतरे की घंटी कांग्रेस प्रत्याशी के चुनावी राह में कांटे ही कांटे
अनूपपुर। भाजपा प्रत्याशी के सामने कांग्रेस से उम्मीदवार बनकर आए रमेश सिंह के लिए चुनावी राह आसान नहीं दिख रही है। नामांकन में भीड़ का दम दिखाने में सफल रहे रमेश सिंह को कांग्रेस के उपचुनाव में प्रत्याशी रहे विश्वनाथ कमी भले ही न खले लेकिन लेकिन नामांकन के समय विश्वनाथ के उपस्थित न रहने से राजनीतिक गलियारों से लेकर जनता की अदालत तक यह संकेत जाने में सफल रहा की कांग्रेस में एक जूट ता नहीं है और अब विश्वनाथ सिंह के सबसे खास समझे जाने वाले पूर्व पार्षद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने इस्तीफा देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव के दौरान कांग्रेस को भीतर घात से जूझना पड़ेगा। फिलहाल यहां अगर बुधवार के दिन रमेश सिंह द्वारा किए गए नामांकन की बात की जाए तो अनूपपुर के राजनीतिक समीक्षा को का कहना है कि जिस ढंग से आम लोगों को आशा थी कि रमेश सिंह नामांकन के दिन तीन साल से चल रही अपनी तैयारी को लेकर पूरे दमखम के साथ नामांकन करेंगेस लेकिन नामांकन के समय विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों और नगरी क्षेत्र को लोगों को देखकर यह कहीं से नहीं कहा जा सकता की रमेश सिंह ने अपनी ताकत को दिखाने में सफल रहे। फिलहाल राजनीतिक सूत्रों की माने तो रमेश सिंह की राजनीति की विचारधारा और कार्यशाली कुछ अलग ढंग से है और वह दिखाए में काम जमीनी हकीकत में ज्यादा विश्वास करते हैं यही एक कारण भी हो सकता है कि रमेश सिंह ने अपनी पूरी ताकत दिखाने की कोशिश न किए हो रमेश सिंह के कार्यशाली और उनके विचारधारा पर भले ही यह सटीक बैठता हो कि वह सौम्यता के साथ राजनीति करने वाले अनूपपुर के इकलौते नेता है लेकिन जब भीड़ के साथ चुनावी समीक्षा की बात होती है तो आजकल के लोग दिखाए को ज्यादा पसंद करते हैं। जिसमें फिलहाल रमेश सिंह को बहुत अच्छा नंबर नहीं दिया जा सकता।