वर्षा ऋतु में पशुओं को होने वाली बीमारी से बचाने कराएं टीकाकरण टोल फ्री नंबर 1962 डायल कर पशुपालक प्राप्त करें उपचार की सुविधा

अनूपपुर / मानसून वर्षा से विभिन्न प्रकार के चारा-घास अंकुरित हो रहे हैं। इनमें पशुओं में बीमारी फैलाने वाले अनेकों तरह के सूक्ष्म जीव पनपते हैं। हरे चारे के चरने से बड़े पशु अनेकों तरह के प्राणघातक रोग जैसे गलघोंटू, एकटंगिया तथा छोटे पशु आंत ज्वर, स्वाइनफीवर एवं पक्षी काक्सीडिओसिस रोग से ग्रसित होकर मर जाते हैं। इन रोगों से बचाव का प्रमुख साधन टीकाकरण है। विगत वर्षों में कई जिलों में लम्पी स्किनडिसीज का प्रकोप पाया गया था, जिसमें गायों-बैलों को बुखार, लंगड़ापन, शरीर में गठाने आदि लक्षण पाये जाते हैं। इसी तरह बरसात के ठीक बाद पशुओं में खुरपका, मुंहपका रोग का प्रकोप प्रारंभ हो जाता है, जिस रोग से पशुपालक भलीभांति परिचित हैं। इन रोगों से पशुपालकों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। दुधारू पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता कम हो जाती है तथा बैलों की काम करने की शक्ति खत्म हो जाती है। उक्ताशय की जानकारी पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उप संचालक डॉ. ए.पी. पटेल ने देते हुए पशुपालकों से अपील की है कि निकट के पशु चिकित्सालयों से संपर्क कर विभागीय अमले से पशुओं का टीकाकरण करवाएं और पशुओं को रोगग्रस्त होने से बचाने का प्रयास करें। मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिले में त्वरित एवं घर पहुंच उपचार सुविधा देने की दृष्टि से 06 चलित पशु चिकित्सा इकाई प्रदाय की गई है। सभी पशु पालकों से आग्रह है कि टोल फ्री नम्बर 1962 में कॉल करके बीमार पशुओं के उपचार हेतु सेवायें प्राप्त करें।