अनूपपुर न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा 

धर्म परिवर्तन कराने का भी है मामला  

अनूपपुर। माननीय विशेष न्यायालय (अनुसूचित जाति जनजाति अत्चारण निवारण अधिनियम) श्री रविन्‍दर सिंह, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनूपपुर की न्यायालय ने शनिवार दिनांक 13.04.2024 को निर्णय पारित करते हुए विशेष प्रकरण क्र. 65/21 के आरोपी सैय्यद असगर अली पिता सैय्यद ताजुद्दीन अली उम्र 35 वर्ष निवासी पुरानी बस्ती अनूपपुर को थाना कोतवाली के अपराध क्र0 248/21 में धारा 363 भादवि में 02 वर्ष 2000 रू., 363ए भादवि में 5 वर्ष 5000 रू., 376(2)एन भादवि एवं 5एल/6 पॉक्सो एक्ट में शेष प्राकृत जीवन काल तक आजीवन कारावास व 50000 रू., 3(2)5 एससी एसटी एक्ट में आजीवन कारावास व 25000 रू. 3(1)डब्ल्यू (II) एससी एसटी एक्ट में 01 वर्ष व 1000 रू. तथा म.प्र. धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में 02 वर्ष एवं 50000 रू. के सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड के दण्ड से दण्डित किया गया। आरोपी गिरफ्तारी दिनांक 01.08.2021 से अभी तक न्यायिक अभिरक्षा में निरूद्ध था जिसे उक्त दण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पक्ष समर्थन विशेष लोक अभियोजक श्री हेमन्त अग्रवाल प्रभारी जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वारा किया गया।

                                मामला इस प्रकार है कि, दिनांक 10.06.2021 को 16 वर्ष 05 माह की नाबालिग बालिका के लापता हो जाने पर उसके पिता द्वारा अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध थाना कोतवाली में प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कराई। अन्वेषण के दौरान घटना के लगभग 50 दिन पश्चात पीडिता दस्तयाब हुई, उसके द्वारा बताया गया कि आरोपी असगर उसे शादी का झांसा देकर अंबिकापुर ले गया और वहां उसके साथ उसने कई बार बलात्कार किया और धर्म परिवर्तन कराए जाने की बात बताई, जिसके आधार पर प्रकरण में अपराध से संबंधित धाराओं का इजाफा किया गया, पीडिता सहित आवश्यक साक्षियों के कथन लेखबद्ध किये गए, आवश्यक वैज्ञानिक साक्ष्य का संकलन कर अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अपराध की गंभीरता को देखते हुए माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया गया, माननीय न्यायालय द्वारा प्रकरण की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुना गया, और अभिलेख पर आए समस्त साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को उक्त दण्ड से दण्डित किया। प्रकरण में घटना के समय पीडिता 16 वर्ष की बालिका थी जबकि आरोपी 35 वर्ष का था, प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए माननीय न्यायालय द्वारा उक्त दण्ड के साथ पीडिता को उसके पुर्नवास के लिये प्रतिकर दिए जाने हेतु निर्देशित किया, साथ ही अपराध में प्रयुक्त मोटर सायकिल को भी विक्रय कर विक्रय की राशि को भी राजसात किये जाने का आदेश पारित किया। विधिक प्रावधानों के पालन में पीडिता के नाम, पता व जानकारी को गोपनीय रखा गया है।