अपनी जायज मांगों को लेकर जिला चिकित्सालय अनूपपुर के डॉक्टर बैठे धरने पर

@रिपोर्ट - मो अनीश  तिगाला 

अनूपपुर / डॉक्टर्स की प्रदेश स्तरीय हड़ताल से जिला चिकित्सालय अनूपपुर में भी  स्वास्थ्य व्यवस्था ठप हो गई  और  सरकार की डॉक्टरों से की जा रही  वादाखिलाफी  की वजह से मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई  । आज बुधवार 3 मई से मध्य प्रदेश चिकित्सा संघ के बैनर तले  अनूपपुर जिले में भी शासकीय व सव शासकीय चिकित्सक, जिला चिकित्सालय अनूपपुर के सामने  धरने  पर बैठ  गए | मध्य प्रदेश चिकित्सक अधिकारी संघ के हड़ताल में जाने के चलते अस्पताल में आज मरीज परेशान होते नजर आए। वही रोजाना की तरह भीड़ डॉक्टरों को उनके कमरों में ढूंढती नजर रही। सरकार के द्वारा मांग पूरी न किए जाने के चलते डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।

 जिला चिकित्सालय अनूपपुर के वरिष्ठ डॉक्टर  वीरेंद्र खेस्स ने बताया कि  डीएसीपी योजना को लागू करने की मांग डॉक्टर संघ जनवरी से करता आ रहा है इसके लिए डॉक्टर संघ के द्वारा प्रदेश भर में हड़ताल भी की गई थी जिस पर प्रदेश सरकार के द्वारा आश्वासन दिया गया था कि जल्दी आपकी मांगे पूरी कर दी जाएंगी, बावजूद इसके आज दिनांक तक इनकी मांगे पूरी नहीं हो सकी जिसके चलते जिले भर के डॉक्टर आज बुधवार  से हड़ताल पर बैठ गए हैं।

धरने में बैठे महिला चिकित्सकों के द्वारा मध्यप्रदेश शासन के द्वारा की जा रही वादाखिलाफी को याद दिलाते हुए गीत भी गाए गए, जिसमें सरकार को धोखेबाज भी बताया गया है।


 *ना ऑपरेशन न  इलाज*

डॉक्टर्स हड़ताल के दौरान ना ऑपरेशन करेंगे ना ही इलाज। सोमवार से शुरू हुई हड़ताल में पहले दिन डॉक्टर्स ने काली पट्टी बांधकर काम किया था। दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर 11 बजे से 1 बजे तक काम बंद हड़ताल की। इससे कई मरीजों को इलाज के लिए हड़ताल खत्म होने का इंतजार करना पड़ा था। बुधवार को 03 मई  को डॉक्टरों ने सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ  सामूहिक हड़ताल कर दी,

 

                    *यह  है मांग*

 डॉक्टर संघ अनूपपुर के जिला अध्यक्ष  डॉ जनक  सरीवान ने बताया कि हमारी मुख्य मांगे  सरकार  डीएसीपी योजना के  साथ  चिकित्सो पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर हो, संविदा चिकित्सकों एमबीबीएस  की पीएससी  के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति / चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन करना, जूनियर डॉक्टरों के ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि को कम करना, बंधपत्र चिकित्सकों का वेतन बढ़ाना और स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं ईएसआई की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियां दूर करने जैसी मांगें शामिल हैं.|