।।लोग कुछ तो कहेंगे।।
पार्टी में अपना वजूद तलाशते भाजपा नेता, खुद को वफादार बताने की जरूरत? आयातितों से मांग रहे सहारा
अनूपपुर। 
सालों साल से प्राथमिक सदस्य, सक्रिय सदस्य, आजीवन सदस्यता की जेब में रशीद रख 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने को वफादार बताने की जरूरत पड़े तो उस नेता को नेतागिरी में धिक्कार होना चाहिये, पार्टी कार्यकर्ताओं से बनी! अब पार्टी को ऐसे कार्यकर्ताओं की जरूरत नही क्योंकि अब लोग अपने आप आ रहे हैं, इसीलिये कभी राम के कभी रमेश के कभी खुद के न हो सकने वालों को घबराहट हो रही है बहरहाल नेतागिरी में सब जायज है,इसे शहडोल लोकसभा से बिल्कुल जोड़ा जा सकता है,पानी-पी-पी कर एक-दूसरे को गाली बकने बाल अब एक दूसरे के भाई साहब होने को आतुर हैं,यह कब तक के लिये कुछ कहा नही जा सकता । क्योंकि आयातित  नेताओं का पार्टी में कोई वजूद नही कौन कब कहां होगा उन्हें खुद मालूम नही यह इस लिए कह रहे हैं क्योंकि समय बदलते देर नही लगती। कुछ तो ऐसे हैं ! कभी चोली दामन का साथ है कहने वाले अब दामन झांक रहे हैं, 1998 से लेकर कब कितनी बार बदले पता नही होगा अब पता तलाश रहें,हमारा तो कहना हैं खुद को जो न पहचान सके वो इंसान ही क्या, ठिकाना तो परिंदे ढूंढ लेते हैं, बहरहाल बात कुछ तेज तर्रारों की यहां नही होगी तो अच्छा नही होगा, मर जाऊंगा मिट जाऊंगा पर कभी साथ नजर नही आऊंगा जनता से यह कहने वाले आज हांथ जोड़कर उन तक यह मैसेज पहुंचवा रहे हैं साथ मे रख लो, देखें आगे क्या कुछ होगा, फिलहाल कहावत न घर के न घाट के सटीक बैठ रही है।
(अनूपपुर से राजनारायण द्विवेदी)