कोतमा में सुनील सराफ के बाहर जी -23 के अंदर होने की चर्चा

 


अनूपपुर। वैसे तो यह सभी जानते हैं कि राजनीति में ना तो कोई स्थाई दोस्त होता है न ही दुश्मब लेकिन कोतमा क्षेत्र में राजनीति में इस कहावत को गलत साबित करने के कई उदाहरण मौजूद है। फिलहाल वर्तमान में लोकसभा चुनाव के दो भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के हार जीत की चर्चा से इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस के पूर्व विधायक सुनील सराफ चुनावी जंग के समय कोतमा से ही बाहर नहीं विधानसभा चुनाव संचालन समिति से भी बाहर कर दिए गए हैं। पूर्व विधायक समर्थकों ने सोशल मीडिया पर इसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं साथ में ही जी 23 कि नेताओं की संचालन समिति में मौजूदगी पर भी कई तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। फिलहाल तो जिस तरह से विधानसभा चुनाव के दौरान जी 23 के नेताओं ने अपने संकल्प को पूरा करने के कांग्रेस में वापसी की है अब देखना यह भी है कि क्या कांग्रेस में वापसी के बाद लोक सभा के चुनाव में जी 23 अपनी अग्नि परीक्षा में सफल होता है या नहीं स कोतमा के राजनैतिक पंडितो का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी दिलीप जासवाल की जीत में अपनी भूमिका बताने वाले जी 23 कि नेताओं के सामने इस बार का लोकसभा चुनाव उनकी राजनैतिक वजूद पर ठप्पा लगाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि दिलीप जायसवाल ने जिस तरह से 20000 मतों से ज्यादा की जीत हासिल की थी और लोकसभा के चुनाव में भाजपा सांसद प्रत्याशी को अगर इतने मतों की जीत नहीं मिलती है तो जी-23 की भूमिका सामने आ सकती है। अगर यहां पर यह सीधे-सीधे शब्दों में कहा जाए की कोतमा विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी के जीत हार के मतों की संख्या जी 23 के नेताओं के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है तो गलत नहीं है। फिलहाल की 23 के सबसे बड़े विरोधी कांग्रेसी पूर्व विधायक सुनील सराफ रीवा के प्रभारी बनकर कोतमा के चुनावी मैदान को जी 23 के नेताओं के लिए खुला छोड़ दिया है अब अपना वजूद या राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए जी 23 के नेता लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए कितना दम दिखाते हैं यह आने वाले परिणामों से पता चलेगा।