कब छोड़ेंगे कोतमा विधायक ठुल्लागिरी,ढाबे में लोगों को खाना खिला नही दिए पैसे ? शोसल मीडिया में ढाबा संचालक ने विधायक के कृत्यों को किया वायरल 
अनूपपुर - कोतमा विधायक आखिरकार कर अपनी ठुल्ला गिरी से बाज आयेंगे, क्या इसी लिए जनता ने आप को चुना था कि आप विवाद करते हुए सुर्खियों में बने रहे और अब तो खाने का पैसा तक नही देते वाकई में अगर इस घटना में थोड़ी बहक सच्चाई है तो निश्चित तौर पर चुल्लू भर पानी काफी है ?
दरसल अनूपपुर से कोतमा रोड में संचालित होटल ग्रीन ननका ढाबा के संचालक ने राष्ट्र रक्षक हिन्दू ग्रुप में एक पोस्ट करते हुए लिखा कि मैं सीनू पसला ढाबा चलाता हूँ कल बीती रात कोतमा विधायक जो अपने आप को बहुत बड़ा लोगों का हितैषी बताता है एक तो मेरे ढाबा में आता है मुझसे बोलता है कि 70 लोगों को खाना खिलवाना है जब मैं खाना खिलवाता हूँ जो कि मेरा धर्म है मेरा काम है खाना खाने के बाद ऊपर से पैसा नही दिया और अपनी विधायकी बताके मेरे नौकरों को बोलता है कि कौन है तेरा मालिक तेरा होटल बंद करवा दूंगा और माँ बहन की गलियां देके चला गया,
अब आप सोचिये अगर कोतमा विधायक की औकात लोगों को खाना खिला पाने की नही थी तो क्यों खाना खिलाया 
दरसल कोतमा विधायक के आदत में सुमार है कि अगर हर एक दो महीने में उन्हें इस तरह की सुर्खियां न मिले तो उनकी विधायकी उनको समझ ही नही आती बहरहाल विधायक जी बड़े बेआबरू भी न हुए होंगे आप तो खाना का पैसा न देने में उल्टे आप का सीना चौड़ा हो गया होगा एक ढाबे वाले का पैसा मार कर पर करोगे भी इसके अलावा क्या चूंकि ये तो आप के जीवन शैली का एक हिस्सा है
सूत्रों की माने तो दिग्विजय सिंह के कार्यक्रम में अनूपपुर आने के दौरान विधायक महोदय ने इस घटना को अंजाम दिया
दरसल मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह अनूपपुर प्रवास पर थे और  विधायक जी को दिखाना था कि मेरे साथ भी लोग है पर आप के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा को चोर ,भृष्टाचारी सब बताते रहे पर आप जैसे विधायकों की काली करतूतों के बारे में एक बार न मुह खुला और यही कथनी और करनी है आप के पार्टी की 
बहरहाल उस ढाबा संचालक ने अच्छे मन से आप का पेट भरा खाना खिला कर और उस धर्म को बखूबी निभाया जो हमारे यहां की संस्कृति है कि दरवाजे पे कोई भी आ जाये भूँखा न जाये और एक लाइन आपने भी सुनी होगी कि साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय । मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥ आप भी अदब से जाते बताते मेरे पास खाने के पैसे देने को नही है खाना खाना है मेरे हिसाब से ननका ढाबा के संचालक को साईं ने इतना तो दिया होगा जो आप जैसे बिन पैसे वालों का पेट भर ही देता पर आप तो ठहरे अकडबाज खायेंगे भी देंगे भी नही और ऊपर से धौंस दिखायेंगे
ईश्वर से डरो
कम से कम विधायक जी नीचे वालों को तो आप अपने विधायकी के सामने तुक्ष समझते है पर कभी ऊपर वाले को भी देख लिया करो चूंकि उनकी सटकी में आवाज नही होती और आज आप की धौस तभी तक है विधायकी आज है कल नही होगी तब आप को कोई पानी को नही  पूंछेगा इसलिए कम से कम अन्न देवता का मान रखते हुए कम से कम उस ढाबे वाले का पैसा दे कर अन्न देवता से माफी मांग लीजिये हालांकि अभी तो आप ही भगवान है फिर भला आप के लिए ये मुमकिन नही फिर भी , और किस गुरुर में जीवन बसर कर रहे है हम सब मिट्टी के प्यादे है एक न एक दिन सब की बारी है हर किसी को उसके अपने कर्मो के हिसाब से याद किया जाता है पर दुर्भाग्य जनक है कि आप को आपके कुकर्मो के वजह से ज्यादा जाना जाता है