जिले में बेरोजगारी चरम सीमा पर, रोजगार के मुद्दे पर कांग्रेस भाजपा की खोखली वादेबाजी
भाजपा-कांग्रेस के नेताओं के पास बेरोजगारी पर सकारात्मक सोच नही
(विकास पाण्डेय)
इन्ट्रो-जिले की पहचान कोयलांचल जिले के रूप में होती है जाहिर है अनूपपुर जिले में हसदेव क्षेत्र जमुना कोतमा एरिया और सोहागपुर एरिया की कुछ खदानों को अगर मिला दिया जाए तो लगभग दो दर्जन से ज्यादा कोयला खदानों को अनूपपुर जिला अपने जद में समेटे हुए है और उक्त तीनों ही क्षेत्रों से कोयला उत्पादन कर उक्त जिला देश के उन्नति और विकास में अहम योगदान देता है इन क्षेत्रों में संचालित कोयला खदानों के आसरे बडी संख्या में देश के कोने-कोने से आकर लोगों द्वारा अपना जीविकोपार्जन भी किया जा रहा है अगर हम जानकारों की मानें तो अनूपपुर जिला मध्यप्रदेश में सूबे की सरकार को खनिज से राजस्व देने के मामले में नंबर दो पर है लेकिन इसके बावजूद भी दिया तले अंधेरा की कहावत उक्त जिले में बेरोजगारी के इर्द-गिर्द साबित हो रही है क्योंकी जिले के युवा रोजगार के लिए या तो पलायन करने को मजबूर हैं या फिर स्थानीय स्तर पर एक अदद रोजगार पाने के परेशान हो रहें है।
बिजुरी। जिले मे एक अदद रोजगार के लिए युवाओ को पलायन करना पड़े पड़े या फिर जबरदस्त जद्दोजहद करना पड़े तो फिर आप क्या कहिएगा और क्या करिएगा स्मरणीय है कि मौजूदा वक्त पर बेरोजगारी अनूपपुर जिले की सबसे बड़ी समस्या बन गई या फिर बना दी गई है दावो का सच अपनी जगह लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि सत्ता और सियासत के यूवाओ को रोजगार देने के मखमली दावो से खुरदुरी है हकीकत की जमीन इस तर्क का उल्लेख इसलिए क्योंकि बेरोजगारी रूपी साप अपने फन इस कदर काड रहा है कि जिले के युवा असहाय हो चले है बेरोजगारी के साए तले अपराधिक गतिविधियों की ओर अग्रसर होने को मजबबूर हो चले हैं जिले के युवा एक  अदद रोजगार के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है। हालात रोजगार के मद्देनजर ऐसे बना दिए गए है कि युवा एक अदद रोजगार के लिए युवा मारे मारे फिरते है युवाओ को नौकरी मिलती नही मिलती है तो टिकती सवाल क्या है क्या जिले के यूवा दिनों-दिन बढ़ती बेरोजगारी के अक्स तले अपने जीवन को सुख शांति और सम्रद्धि के साथ जीवन यापन कर सकते है या कर पा रहे है? क्या जिला बेरोजगारी के तलहटी तले उन्नति और विकास के मार्ग पर बढ सकता है? या अग्रसर हो रहा है? जब एक अदद रोजगार के लिए जिले के युवाओ को ठोकरे खाना पड़े तो फिर जिम्मेदार कौन फिलहाल इस सवाल का जवाब किसी के पास नही है। 
चुनाव के समय ही नेताओं को याद आती बेरोजगारी
सबसे बड़ा सवाल क्या जिले को विक्सित करने का ये मतलब नही होता कि जिले में नयी नयी फैक्ट्रियों की स्थापना करवाई जाए कोयला खदानों में बंद पड़ी सरकारी भर्ती को शुरू किया जाए, जिससे सभी बेरोजगार युवाओ को रोजगार मिले उक्त रोजगार के आसरे यूवाओ के जीवन मे सुख, शांति और सुकून आए, लेकिन सत्ता और सियासत इस ओर ध्यान देते नहीं क्योंकि कहा और माना तो यही जाता है कि यूवा ही देश का भविष्य है इन सारे सवालो के अक्स तले हमारे जहन मे एक सवाल रेंगता है आपके जहन मे भी रेगना चाहिए क्या ये मान लिया जाए कि अनूपपुर जिले में बेरोजगार युवाओ की सुनने वाला कोई नही और चुनावी वक्त पर याद कीजिए जब चैसर की जरूरत के लिए हंगामा मचता है तब सियासी दल वोटो के मद्देनजर बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर युवाओ भावनाओ से आखिर क्यो खेलते है क्या चुनावी वक्त पर जिले के युवाओ से सियासी दलो द्वारा किए जाने वाले रोजगार के वादे बेरोजगार यूवाओ के भावनाओ से खिलवाड़ मात्र होते है।
राजनैतिक दलो का घोषणा पत्र मात्र झुनझुना
राजनीतिक दल हो इस बात का जिक्र इसलिए क्योंकि अगर उक्त सियासी दलो के गुलाबी घोषणा पत्रो पर पैनी नजर डाली जाए तो दिखाई तो यही देता है युवाओ को रोजगार देने का वादा कमोबेश हर सियासी दल करते है मगर चुनाव मे जना देश मिल जाने के बाद चुनावी वक्त युवाओ को रोजगार देने के वादे को पूरा करते नही ऐसे मे दिनों-दिन बढ़ती बेरोजगारी एक त्रासदी हो चली है क्या जिले की बेरोजगारी की आहट सरकार तक पहुंच ही नही रही है क्या जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान नहीं देना चाहिए चरम सीमा पर पहुंच रही बेरोजगारी के लिए सत्ता, सिस्टम और सरकार दोषी नही है क्या जिले के मानियो को जिले मे दिनों-दिन बढ रही बेरोजगारी दूर करने के मद्देनजर एक ठोस निति बनाकर सिलसिलेवार तरीके से बेरोजगारी को दूर करने की कोशिश नही करना चाहिए और अब आपके जहन मे ये सवाल उठना चाहिए जब एक अदद रोजगार के लिए जिले के युवाओं के युवाओ को पलायन करने को मजबूर होना या पड़े या फिर दर दर की ठोकर खाने को मजबूर होना पड़े तो फिर जिम्मेदार कौन? क्या राजनीतिक दलो को बेरोजगार युवाओं की बेरोजगारी की याद सिर्फ चुनावी वक्त पर वोटो की फसल काटते वक्त ही आती है? इस पर सबके अपने तर्क हो सकते है युवाओं से जुड़े इस अहम मुद्दे की कैसी भी व्याख्या की जा सकती है लेकिन तर्को और व्याख्याओ का सच अपनी जगह जमीनी सच्चाई यही है कि मौजूदा वक्त पर अनूपपुर जिले में बेरोजगारी भयावह रूप लेती जा रही है। 
रिटायर्ड होते कर्मचारी नयी भर्ती पर रोक
हर महीने कोयला खदानों में कार्यरत लगभग दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी सेवा निवृत्त होते जा रहे और जिसके कारण कोयला खदानों और कालरी के कार्यालयों में मेन पावर घटता जा रहा है लेकिन भर्ती पर लगी पाबंदी के चलते भर्ती बंद है अगर जिले के जद में आने वाली कोयला खदानों में भर्ती शुरू कर दी जाए तो जिले दिनों-दिन बढ़ती बेरोजगारी पर अंकुश लगाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि जिले मे दिनों-दिन बढ़ती बेरोजगारी के तले यूवाओ का भविष्य अंधकारमय् हो चला है या फिर होता जा रहा है, कहते है कि हिन्दुस्तान की ताकत तो राजनीति सत्ता मे बसती है जो भी बिसात बिछाते चला जाता है अगर वह सफल हुआ तो फिर नायक कहलाता है तो फिर सवाल तो यही है कि क्या अनूपपुर जिले के माननीय नायको को जिले मे दिनों-दिन बढ़ती बेरोजगारी की चिन्ता नही करना चाहिए।