दिनो दिन गिरता पढ़ाई का स्तर, फीस और मंहगी किताबों की मची लूट, अभिभावक परेशान 

कोतमा | वर्तमान समय में आम जनता के ऊपर अगर सबसे ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ रहा है तो वह पड़ रहा है निजी स्कूलों के द्वारा फीस के नाम में मनमानी की जाती है उसके साथ-साथ प्रतिवर्ष एडमिशन फीस लिया जाना और लगभग प्रतिवर्ष किताबों को बदल दिया जाना, अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है सीबीएसई मान्यता से चल रही स्कूलों द्वारा ऊंची ऊंची बिल्डिंगों के साथ-साथ महंगी महंगी किताबो का भी उपहार देता है जबकि पढ़ाई का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है कोतमा नगर के कुछ वि‌द्यालय ऐसे हैं अगर वहां पढ़ाई का स्तर देखा जाए तो पिछले 5 वर्षों में लगातार गिरता हुआ प्रतीत होता है, वि‌द्यालय में बहुत अधिक फीस लिया जाना उसके बाद भी अभिभावकों को अपने बच्चों को ट्यूशन पढ़‌वाना ही पड़ता है बिना ट्यूशन के बच्चे का बौद्धिक विकास लगभग रुक सा रहता है कोतमा नगर के कुछ विद्यालय ऐसे हैं जहां खेल का मैदान ही नहीं है जबकि बच्चों के बौद्धिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास भी आवश्यक होता है लेकिन शिक्षा विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा ऐसे वि‌द्यालयों को चलाने की अनुमति दे दी जाती है जो केवल व्यवसाय के दृष्टिकोण से ही विद्यालय चला रहे होते हैं, दुकानदारों और निजी वि‌द्यालयों के द्वारा आपस में साठ गांठ करके मनमानी दरों और पब्लिकेशन की पुस्तक चलाई जाती हैं महंगे दरों की पुस्तक चलाने का मुख्य उद्देश्य कमीशन होता है, जिनके पन्ने तो रंगीन रहते हैं लेकिन मटेरियल वही हुआ करता है आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है इस पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है ऐसे कायों पर रोक कब लगेगी कोई भी बताने वाला नहीं है अभिभावक कोई और नहीं आम जनता ही है जो अपने मतदान से एक अच्छी सरकार सुनती है और उस सरकार से यह अपेक्षा रखती है कि अगर आम जनता के ऊपर किसी भी प्रकार का कोई अतिरिक्त दबाव या बोझ डाल रहा है तो उस पर शासन प्रशासन को सरकार को चिंता करनी चाहिए लेकिन वर्तमान में कोतमा नगर की आम जनता खुद को बहुत अकेला और असहाय महसूस कर रही है।