कौन है कोतमा धान खरीदी केंद्र में घोटाले का मास्टरमाइंड उच्च स्तरीय जांच की जरूरत
सामने 43 लाख पर्दे के पीछे करोड़ का खेल
इन्ट्रो-
कोतमा धान खरीदी केंद्र में लगभग 5000 धान की बोरियों की कमी का मामला परत दर परत उलझता जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि भले ही सामने लगभग 43 लाख का घोटाला समझ में आ रहा है लेकिन अगर इस संबंध में किसी निष्पक्ष एजेंसी द्वारा उच्च स्तरीय जांच की जाए तो लगभग एक करोड़ से ज्यादा रुपए का खेल का सच सामने आ सकता है। फिलहाल इस खेल के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है इसका सच जानने के लिए भी उक्त घोटाले की निष्पक्ष जांच जरूरी है।

अनूपपुर। कोतमा धान खरीदी केंद्र में हुए 43 लाख के घोटाले पर पर्दा डालने के लिए मुख्य आरोपियों को बचाकर छोटे कर्मचारियों को बालिका बकरा बनाए जाने की खबर इस समय कोतमा क्षेत्र में जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी दौरान जब उक्त घोटाले की पड़ताल की गई तो यह तथ्य भी निकाल कर सामने आ रहा है कि भले ही अभी यह घोटाला 43 लाख का नजर आ रहा है लेकिन अगर किसी निष्पक्ष एजेंसी के द्वारा इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की गई तो यह घोटाला 1 करोड़ से ऊपर का होगा। वही इस दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि इस घोटाले में धान खरीदी केंद्र के कई जिम्मेदार अधिकारियों के साथ-साथ कुछ राजनीतिक सत्ता पक्ष के रसूख वाले नेता भी शामिल है और घोटाले के प्रकाश में आने के बाद यही नेता यहां के घोटाले बाज अधिकारियों को बचाने के लिए कोतमा अनूपपुर से लेकर भोपाल तक की दौड़ लगा रहे हैं। फिलहाल इस मामले में जहां जिला खाद्य अधिकारी निक कोतमा थाने में लिखित शिकायत मुकदमा पंजीकृत करने के लिए दे दिया है लेकिन पुलिस दबाव के कारण ही उक्त प्रार्थना पत्र को कूड़े के ढेर र में फेंक कर राजनीतिक रसूख वाले नेताओं के दबाव में पूरे मामले को ठंडा बस्ती में डाल दिया है। जो इस बात का जीता जागता प्रमाण है कि पुलिस भी नहीं चाहती है कि इस घोटाले का पर्दाफाश हो।
नहीं होता था रोजाना रजिस्टर का वेरिफिकेशन
मुक्त घोटाले की पड़ताल में जताने के बाद जो तथ्य निकाल कर आ रहे हैं वह इस धान खरीदी केंद्र के जिम्मेदार अधिकारियों के काले कारनामों की ओर इशारा कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो इस धान खरीदी केंद्र में रोजाना स्टॉक रजिस्टर का वेरिफिकेशन नहीं होता था इसका गवाह आज भी इस केंद्र का स्टॉक रजिस्टर है जिसमें तीन दिन चार दिन एक हफ्ते बाद वेरिफिकेशन करके अधिकारी हस्ताक्षर करते थे। सूत्रों का कहना है कि अगर धान खरीदी केंद्र कोतमा के स्टॉक रजिस्टर का वेरिफिकेशन रोजाना होता तो इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं था स अब स्टॉक रजिस्टर का वेरिफिकेशन रोजाना क्यों नहीं होता था इसके पीछे के कई कारण है लेकिन मुख्य कारण यही है कि यहां के जिम्मेदार अधिकारी इस सारे गोरख धंधे में शामिल थे और अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए स्टॉक रजिस्टर का वेरिफिकेशन नहीं करते थे।
कोऑपरेटिव बैंक में किसानो के खातों की जांच से हो सकता है दूध का दूध पानी का पानी

 


एक कहावत कहीं जाती है कि अपराधी कितना भी चालक क्यों न हो कोई ना कोई ऐसी गलती जरूर कर जाता है जो बाद में उसके अपराध को प्रमाणित कर देता है। फिलहाल ऐसी ही गलती इस धन केंद्र के जिम्मेदारों ने भी की है जिसकी जांच होने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। सूत्रों की माने तो कोऑपरेटिव बैंक कोतमा में किसानों के खातों की जांच की जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि उक्त घोटालेबाज कौन है। सूत्र का दावा है कि धान खरीदी केंद्र से किस के खाते में पैसा जमा होने के तत्काल बाद इस केंद्र से जुड़े दो कर्मचारियों के परिवार वालों के अकाउंट में भारी भरकम राशि ट्रांसफर कर ली गई है। जिसकी जानकारी किसानों को भी नहीं है। वही सूत्र का यह भी कहना है कि कोतमा धान खरीदी केंद्र पर कुछ ऐसे किसान पंजीकृत हैं जिनके पास जमीन तो है लेकिन उन्होंने धान की खेती नहीं की और वह अपना धान खरीदी केंद्र पर बेचने के लिए नहीं ले आए ऐसे किसानों को चिन्हित करते करते हुए इस धान खरीदी केंद्र के घोटालेबाज अधिकारियों ने उनके नाम की पार्टी कटवा कर उनके खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया और बाद में किसानों के फर्जी हस्ताक्षर करके अपने परिवार वालों के अकाउंट में पैसा वापस ले लिया हैस पप्पू की माने तो अगर कोतमा कोऑपरेटिव बैंक में धान खरीदी केंद्र में चिन्हित किसानों के अकाउंट की जांच की जाए तो घोटाले के असली मास्टरमाइंड कानून की पकड़ में आ सकता है।