नर्सिंग कॉलेजों के रूप में खुली लूट की दुकान के लिए जिले में कौन है जिम्मेदार?
लाख टके का सवाल जवाब किसी के पास नहीं
अनूपपुर। 
जिले में सरकारी नियमों कानून की धज्जियां उड़ाते हुए खुले नर्सिंग कॉलेज को अगर लूट की दुकान कहीं जाए तो गलत नहीं होगा। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई द्वारा जब यहां के नर्सिंग कॉलेज की जांच शुरू हुई तो आम जनता तक मीडिया में आ रही सुर्खियां भी पहुंचने लगी। और अब जब नर्सिंग कॉलेज चलाने के लिए सभी मानक या यह कहा जाए कि सभी सरकारी नियम कानून जनता के बीच में आ चुके हैं तो डंके की चोट पर कहा जा सकता है कि जिले का एक भी नर्सिंग कॉलेज सरकारी नियम कानून का पालन नहीं कर रहा है। लेकिन इसी बीच कागजों पर चल रहे कुछ अन्य नर्सिंग कॉलेज के नाम की जब चर्चा चली तो आम लोगों के समझ में नहीं आ रहा था कि यह इतना बड़ा गोरख धंधा इस जिले के अंदर चल रहा है और इसके लिए जिम्मेदार अभी तक मोन क्यों है। फिलहाल सवाल भी यही है क्योंकि जो भी मीडिया में सुर्खियां बटोर रही खबरें जनता तक पहुंच रही है उसमें नर्सिंग कॉलेज की एक नहीं दर्जनों कमियां जनता के बीच प्रकाश में आ रही है। जिला मुख्यालय में संचालित होने वाली करियर नर्सिंग कॉलेज, साई नर्सिंग कॉलेज, पंडित टीपी शुक्ला वेंकटनगर, पी आर टी नर्सिंग कॉलेज, रेवा पैरामेडिकल नर्सिंग कॉलेज, रिलायंस नर्सिंग कॉलेज, शारदा नर्सिंग काॅलेज के साथ कोतमा में नर्मदा नर्सिंग कॉलेज और राजेंद्र ग्राम में मॉडर्न नर्सिंग कॉलेज है। इसके साथ-साथ जिला मुख्यालय में तिपान नदी के पास जैतहरी रोड पर सरकारी नर्सिंग कॉलेज भी है जो भी सीबीआई के जांच के घेरे में है। उक्त नर्सिंग कॉलेज द्वारा नियम कानून या यह कहा जाए की कॉलेज चलने के लिए तय माप डंडों को ताक पर रखकर कई वर्षों से यह फर्जी वाडा या गोरख धंधा या सीधे-सीधे शब्दों में यह कहा जाए की आम गरीब जनता के गाढ़े पसीने की कमाई को लूटने के लिए नर्सिंग कॉलेज का बोर्ड लगाकर लूट की दुकान चलाई जा रही थी लेकिन इसका खुलासा अब जब सीबीआई की जांच में हो रहा है तो यहां पर सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर इसके लिए जिला प्रशासन में कौन जिम्मेदार है। उक्त नर्सिंग कॉलेज की मॉनिटरिंग शिक्षा और चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जाने का प्रवधान है इसके बावजूद जिले में कई वर्षों से यह शिक्षा के नाम पर लूट की दुकान चलती रही इसकी जानकारी जिला प्रशासन को ना हो यह मन नहीं जा सकता लेकिन क्या कभी जिला प्रशासन ने इस तरफ ध्यान दिया जवाब मिलेगा कि जिला प्रशासन शिक्षा या चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के पास ऐसी लूट की दुकानों पर जहां गरीब किसान के खून पसीने की कमाई लूटी जा रही हो उसे पर ध्यान देने के लिए समय नहीं है। फिलहाल जब हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई जांच चल ही रही है तो जिला प्रशासन को भी सक्रिय होकर इन लूट की दुकानों पर लगाम लगाने की कोशिश की जानी चाहिए जिससे हजारों बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ बंद हो सके।