कोतवाली पुलिस के बीच पैसे के बंटवारे को लेकर विवाद आधी रात उतरे नदी पे पुलिस सूत्रों के हवाले से खबर 
अनूपपुर - विगत महीने भर से कोतवाली अंतर्गत रेत के अवैध कारोबार को लेकर लगातार खबर प्रकाशित होती रही है पैट कार्यवाही के नाम पर छुटपुट कार्यवाही बांकी लीपापोती चलती रही बीती रात के घटना क्रम ने कोतवाली पुलिस की पूरी कलई खोल कर रख दी कल रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे कचड़ा घाट की जो पूरी कहानी सामने आई चौकाने वाली थी कल कोतवाली पुलिस का डग्गा कचड़ा घाट पहुंच कर एक डग्गी जप्त की उसके बाद पुलिस के हमारे पुख्ता सूत्रों ने जो बताया वो और हैरान करने वाली बात सामने आई उसमे दिनांक 18 फरवरी को गस्ती में तैनात पुलिस कर्मी ने रेत माफ़ियायों से दस हजार रुपये बतौर चढ़ोत्तरी ली तो दिनांक 19 को गस्ती में तैनात पुलिस कर्मी को आठ हजार मिले पर इन सब के बीच पुलिस में आपसी बर्चस्व आ गया और कल जो हुआ रेत माफ़ियायों के होश पाखता कर दिए चूंकि पुलिस सूत्रों से जो खबर हमको मिली है उसमें कोतवाली प्रभारी को कचड़ा घाट की तरफ से 8 डग्गी,एक ट्रैक्टर,सोन पार से 4 डग्गी तीन ट्रैक्टर कुल मिला कर 12 डग्गी,चार ट्रैक्टर की चढ़ोत्तरी पिछले पंद्रह दिनों से हो रही थी और इसकी कीमत जान कर आप सन्न रह जाएंगे हमारे पुलिस सूत्रों से मिली पुख्ता खबर के मुताबिक एक रात का एक डग्गी का तीन हजार,एक ट्रैक्टर के एक रात का दो हजार कुल मिला कर 36 हजार रुपये हर रात का डग्गी का,8 हजार पर रात ट्रैक्टर का कुल मिला कर 44 हजार रुपये हर रात की चढ़ोत्तरी के बाद रात साढ़े ग्यारह बजे से सुबह की पांच बजे तक गाड़ी लगाने की अनुमति दी गई थी  पर इन्ही पुलिस कर्मियों में कुछ असंतोषी कहें या पुलिस के लिए विघ्नदोषी को ये बात हजम नही हुई तो अपने ही कोतवाली की कलई खोल कर रख दी गई सोचिये अगर एक रात का  44 हजार तो पिछले पंद्रह दिनों में 6,60,000 (छै लाख साठ हजार ) की   चढ़ोत्तरी पाने के बाद आप कितनी भी खबरें छापिए कार्यवाही कैसे संभव है पुलिस सूत्रों की माने तो कल दिन में ही एक पुलिस कर्मी के माध्यम से साहब को पैसे पहुंचे थे पर उसी पैसे में बंटवारा न होने से कुछ नाखुश पुलिस कर्मियों ने नदी में धावा बोल दिया और कार्यवाही कर दी लाख कोशिशों के बाद गाड़ी नही छोड़ी गई और लगातार पैसे देने वाले  रेत कारोबारी साहब से बात करने का प्रयास करते रहे पर साहब ने फोन उठाना लाजमी नही समझा और जब हमारे पुलिस सूत्रों से इस पूरे मामले की जानकारी हमे लगी तो हमने पूरे मामले की सच्चाई जानने के लिए कोतवाली प्रभारी अमर वर्मा को फोन लगाया पर उनका फोन नही उठा रेत माफियाओं में ये भी चर्चा का विषय सुनने को आया कि साहब जब अपने अधीनस्थों को नही सम्भाल सकते तो आखिर बात करना और सब करने का औचित्य क्या बनता है,
सोचिये जिला मुख्यालय के हालात कितने बदतर है कि लागातर खबरें प्रकशित होने के बावजूद ये पुलिस कार्यवाही के नाम पर ढिंढोरा पीटती रही पर जब पैसों के बंटवारे को लेकर आपसी मनमुटाव हुआ तो साहब का अधीनस्थ ही साहब की सुनने को तैयार नही ,या फिर यूँ कहें कि पूरे घटना क्रम में सब की सहभागिता बराबर की रही  चूंकि अगली क़िस्त जब आये उसमे बढ़ोत्तरी हो सके,
मिली जानकारी के मुताबिक इस पूरे घटना के बाद एक और साहब बीती रात ही नदी में दबिश दी और एक ट्रैक्टर धर दबोचा तो दूसरे साहब ने वी केयर हॉस्पिटल के सामने एक ट्रैक्टर तो पकड़ा पर अपना बनता भाड़ में जाये जनता कर के साहब ने ट्रैक्टर छोड़ दिया इस बात की पुष्टी करनी हो तो संभावित जगह के आस पास लगे सभी सीसीटीवी की फुटेज पुलिस अधीक्षक महोदय निकलवा ले दूध का दूध पानी का पानी होने में देर नही लगेगी,
अनूपपुर पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह पवार के हर संभव प्रयास को कोतवाली सहित अन्य थाना के थाना प्रभारियों ने चुनौती दे दी है या यूं कहें कि पैसों की खातिर पुलिस की छवि धूमिल करने में कोई कसर नही छोड़ी,अब सवाल यह उठता है कि जब सब कुछ सेटल तरीके से चल रहा था तो किसके इशारे पर डग्गी के कर कोतवाली के साहब के अधीनस्थ कर्मचारी नदी पहुंच गया और कोतवाली की पूरी सेटिंग बिगाड़ नही दी लागातर छप रही खबरों पर मुहर लगा दी कि वाकई में साहब के संरक्षण में पूरा खेल चल रहा था वही पुलिस सूत्रों ने जो आंकड़े दिए उससे और सब कुछ साफ हो जाता है कि वाकई में नदियों के चीरहरण में इन का अहम योगदान है एक तरफ जिले के कप्तान लागातर इस काम मे लगे है कि आखिर कर अपराधों पर अंकुश कैसे लगाया जाये तब उनके अधीनस्थ कर्मचारी माफियों को संरक्षण देने में  रात गुजार दे तो अपराधों पर अंकुश कैसे लगेगी