कोतमा विधायक के पास नहीं थे 2860 रुपये ?, ढाबा के कर्मचारियों से बत्तमीजी बताती है की आप कितने तहजीब वाले हो  
अनूपपुर - ढाबा वाले की वो काली रात थी दिनांक 12 की दरमियानी रात जब राज्य सभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के  दिग्विजय सिंह का आगमन अनूपपुर हुआ और तभी कोतमा कांग्रेस के विधायक सुनील सराफ अपने लाव लस्कर के साथ अगुवानी करने अनूपपुर पहुंचे थे, और देर रात वापस कोतमा जा रहे थे और फिर ढाबा संचालक को फोन लगा कर सत्तर लोगों को खाना खिलाने का आर्डर दिया आधी रात को ढाबा वाले ने अपने कर्मचारियों से सत्तर लोगों के खाने की व्यवस्था कराइ पर साहब जब पहुंचे तो खाने वाले 30 से 32 लोग थे फिर भी ढाबा के कर्मचारियों ने खाना खिलाया और साहब ने भी खाया चूँकि उस दरमियान ढाबा के मालिक ढाबे पे नहीं थे घर गए  हुए थे ,
तब ढाबा के कर्मचारियों ने सभी को खाना खिलाया आवभगत की और साहब को जो चाहिए था गाड़ी में बैठ कर लिया भी सूत्रों बताते है यही से साहब का मूड अपने सबाब पर आ गया और जब ढाबा के कर्मचारियों ने 2860  रुपये का बिल बताया तो साहब की तो मानो लंका लग गई हो और साहब आग बबूला हो गए और खाना दो कौड़ी का है बीस रुपये में महंगा है अरे साहब लाखों रुपये का नही महज 2860 रुपये का भुगतान था कुल मिला कर पर व्यक्ति 100 रुपये भी नही होता था,पर खाने के बाद ढाबा के कर्मचारियों को अपशब्द सुना कर निकल लिए अरे साहब आप की आदतों से सभी लोग परचित हो चुके है आप कितनी सभ्यता से उन ढाबा कर्मचारियों से पेश आये होंगे ये सभी लोग भलीभांति परचित है 
तो क्या 2860 रुपये नहीं थे विधायक के पास 
सत्तर लोगों को खाना खिलाने का आर्डर देने वाले कोतमा विधायक सुनील सराफ के पास क्या 2860 रुपये नहीं रहे होंगे जब इतना बड़ा लाव लस्कर ले कर चले थे ऐसा नहीं है पैसे तो रहे होंगे पर विधायकी का सुरूर जो सर पे चढ़ा हुआ है आखिर उन गरीब कर्मचारियों को भी तो बताना था की मै कोतमा विधायक हूँ जनाब कर्मचारियों की जगह अगर आप को कोई समस्या थी तो जिस ढाबा मालिक को आर्डर दिया था उन्ही को फोन लगा कर बताते की खाना सही नहीं था  भुगतना कर निकल जाते और जब कभी आते तो ढाबा मालिक को ये बताया जा सकता था चूँकि आपके फोन पर दिए आर्डर के बाद जब सामने वाले ने खाना बनवाना उचित समझा तो कहीं न कहीं आपके मान सम्मान का उसने भरपूर ध्यान रखा पर आपने उसका मान मर्दन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और सत्तर लोगों के खाने का आर्डर दिया पर उनके द्वारा आपसे उतने ही लोगों का भुगतान मांगा गया और बांकी का बचा हुआ खाना फेंकना पड़ा चूंकि टाइम इतना ज्यादा हो चुका था कि उसको और किसी को खिलाया नही जा सकता था,
ढाबा संचालक दहशत में 
सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक जबसे ये बात सामने आई है तब से कुछ लोगों ने ढाबा संचालक को फोन लगा कर कई तरह का दबाव बनाया जा सकता है जिसके चलते आज ढाबा मालिक न तो ढाबा आया और साथ ही लगातार सुबह से अपना मोबाईल बंद कर के रखा हुआ है हम ने ढाबा पहुँच कर जब कर्मचारियों से बात की तो उन्होंने बताया की बहुत फोन आ रहे थे जिससे भइया परेशान है और मोबाईल बंद कर घर चले गए है दूसरी तरफ हमारे सूत्र बताते है की चूँकि ढाबा संचालक कोतमा के है इसलिए अब उनके ऊपर और कई तरह की समस्याएं आने वाली जिसके चलते वो और भी परेशान है , साहब अगर जरा सी गैरत बची हो तो सबसे पहले खाने का 2860 रुपये बमुरौअत पहुंचवाते हुए इस दुखद घटना को यही इतीश्र कर दें और आने वाले समय में कम से कम ये उम्मीद तो आप से जनता कर सकती है की न तो दोबारा ढाबा वाले को कोई परेशानी आप की वजह से होगी और न भविष्य में किसी और के खाने के पैसे बिना दिए नहीं जाएंगे