भाजपा में प्रत्याशी की जगह संगठन की सक्रियता तो वही कांग्रेस में सारा दारोमदार प्रत्याशी पर
भाजपा में जीत का विश्वास तो कांग्रेस अब 20-20 खेलने की तैयारी में
इन्ट्रो-शहडोल लोकसभा चुनाव को लेकर धीरे धीरे सभी दलों के प्रत्याशी सड़कों पर उतरने लगे हैं। यहां पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में है ऐसे में जहां भाजपा को जीत का आपकी विश्वास है तो वही कांग्रेस लोकसभा चुनाव में दमखम के साथ कूदने की तैयारी में है।
(राम भैय्या)

 


अनूपपुर।
शहडोल में गांधी चैक पर आयोजित जनसभा में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जब यह कहा कि जीत तो तय हैं रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है उसी समय भाजपा कार्यकर्ताओं ने जोश के साथ तालियां बजाई लेकिन वहीं पर मौजूद कई भाजपा नेता यह कहते सुने गए की यही शब्द भाजपा कार्यकर्ताओं में निष्क्रियता ला रहा है जीत तय मानकर भाजपा कार्यकर्ता उस जोश और उत्साह के साथ चुनावी अभियान में नहीं जुड़े हैं जैसा जुड़ना होना चाहिए। उदाहरण के लिए उक्त भाजपा के बड़े नेता ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की इसी सभा को बताया और कहां की इससे ज्यादा भीड़ तो नामांकन के समय थी लेकिन जिस तरह से भाजपा के नेता और कार्यकर्ता जीत पक्की मानकर चुनावी अभियान को खानापूर्ति करते हुए चुनावी मैदान में हैं वह किसी बड़े खतरे का संकेत भी हो सकता है। फिलहाल अभी कांग्रेस प्रत्याषी को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। फिलहाल उक्त भाजपा नेता की नसीहत भले ही भाजपा के बड़बोले पन वाले नेताओं को अभी नागवार गुजर रही है लेकिन सच यही है कि कभी-कभी जीत के जष्न के लिए बनाए गए लड्डू, और ढोल ताशे माला फूल का बयाना भी भूल जाना पड़ता है। यह राजनीति है सब कुछ संभव है जीती हुई बाजी एक पल में पलट जाती है और इस जीती हुई बाजी को पलटने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी जगह-जगह कार्यकर्ताओं की बैठक करके अपनी तैयारी में जुट गए हैं।
भाजपा में प्रत्याशी नहीं संगठन की सक्रियता
वैसे यह तो हमेशा से देखा जाता है कि भारतीय जनता पार्टी में प्रत्याशी से ज्यादा संगठन की भूमिका रहती है। लेकिन इस बार के शहडोल लोकसभा के चुनाव में प्रत्याशी की कोर टीम से ज्यादा संगठन सक्रिय होकर चुनावी अभियान में जुट गया है। प्रत्याशी से ज्यादा संगठन के सक्रिय होने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं जिसमें से मुख्य कारण यही है कि प्रत्याशी के पास अपनी कोई ऐसी टीम नहीं है जो भाजपा के नेताओं, कार्यकर्ताओं और प्रत्याशी के बीच में तालमेल बैठाकर काम कर सके। ले दे के एक ही नाम बार-बार सामने आता है कोई उसे चुनाव का फाइनेंसर कहता है तो कोई यह बताता है कि उसे दिल्ली से भेजा गया है लेकिन उसकी मौजूदगी को लेकर भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी सुबगुहाट है। भाजपा नेताओं का मानना है कि कभी नेता कभी ठेकेदार और कभी दिल्ली का बनकर जो व्यक्ति चुनाव में लाखों का फाइनेंस कर रहा है जीतने के बाद इसका फायदा तो जरूर उठाएगा। फिलहाल भाजपा के खेमे में इस बात की भी चर्चा है कि अभी तक चुनाव के फाइनेंसर पर्दे के पीछे रहकर प्रत्याशी के लिए काम किया करते थे लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब एक फाइनेंसर खुद भाजपा नेता बनकर चुनावी मैदान की बागडोर संभालने के लिए तैयार है।
कांग्रेस खेलेगी 20-20 का मैच
शहडोल लोकसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी और पुष्पराजगढ़ के विधायक लोकसभा का टिकट पाने के बाद संसदीय क्षेत्र के ऑठो विधानसभा में घूम-घूम कर ब्लॉक विधानसभा जिला मंडलम के कार्यकर्ताओं के बैठक कर चुके हैं। यहां पर विशेष बात यह है कि जिस तरह से भाजपा में संगठन की भूमिका ज्यादा है इस तरह से कांग्रेस में प्रत्याशी की भूमिका ज्यादा है और यहां संगठन निष्क्रिय यह कहा जाए कि केवल कागज पर है तो गलत नहीं है। सूत्रों की माने तो चुनावी राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी रहे पुष्पराजगढ़ कांग्रेस विधायक ने अपने चुनाव की व्यूह रचना पूरी कर ली है। और अब वह मैदान में उतरकर भाजपा प्रत्याशी से 20-20 का मैच खेलने को तैयार है। और यह सब को पता है कि 20-20 का मैच अंतिम समय तक रोमांच के साथ-साथ हार जीत को लेकर दर्शकों के धड़कनों तक को रोक देता है और कांग्रेस की अंदरूनी चल रही तैयारी इसी बात की ओर संकेत कर रही है।