कांग्रेस का तानाशाह पूर्ण रवैया उन्हें सत्ता से बाहर रख सकती है--- कामरेड विजेंद्र सोनी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मध्य प्रदेश सचिव मंडल के सदस्य कामरेड विजेन्द्र सोनी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इंडिया गठबंधन के तहत सहयोगी दलों से मध्य प्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष कमलनाथ और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा बात न करने और एक तरफ प्रत्याशियों की घोषणा ने राजनीतिक समीकरण को असंतुलित कर दिया है जिस तरह से शाम दलो बहुजन समाज पार्टी सहित समाजवादी पार्टी के नेताओं को दरकिनार किया गया उससे लगता है कि कांग्रेस को वह सफलता जिसका वातावरण इंडिया गठबंधन बनने के बाद हुआ था वह धूमिल होता दिख रहा है,अभी भी वक्त है कांग्रेस चेत जाए वरना तीन प्रतिशत वोट इधर से उधर होने पर सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है कांग्रेस को सोनी ने कहा कि गठबंधन के लोकतान्त्रिक संचालन की पध्दति विकसित की जाये और नेताओं द्वारा एक दूसरे के प्रति सम्मानजनक भाषा के प्रयोग का वातावरण तैयार किया जाये। हाल ही  में ‘इंडिया’ (INDIA) गठबंधन में घटित घटनाक्रमों से इसके करोड़ों- करोड़ अनुयाइयों और समर्थकों को गहरा धक्का पहुंचा है और इसकी विश्बसनीयता (Sustainability) पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। उन्होने कहा जनहित और देशहित में गठबंधन के अंदर छोटे- बड़े सभी दलों के हितों की समान रूप से रक्षा करने, इसके अधिकाधिक लोकतान्त्रिक ढंग से संचालन की प्रक्रिया विकसित करने तथा इसके घटक दलों और उसके नेताओं के बीच परस्पर शिष्टाचार और सम्मान की भावना विकसित करने की फौरी आवश्यकता है। अतएव गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व के बीच इस पर शीघ्र चर्चा होनी चाहिये। विजेन्द्र सोनी  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य सचिव मंडल सदस्य हैं, ने एक प्रेस बयान में कहा कि अत्यंत जनविरोधी भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के उद्देश्य से गठित किये गये इस गठबंधन के वजूद में आने से, 9 साल से जनता को तवाह करने वाली भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकारों से छुटकारा पाने की आशा जनता में जगी थी तथा देश की जनता ने राहत की सांस ली थी। इसके गठन से भाजपा में पैदा हुयी बौखलाहट से भी इसकी प्रासंगिकता पर मुहर लगती नजर आयी। लेकिन हाल के कुछ घटनाक्रमों से गठबंधन के प्रति जहां जनता का भरोसा टूटा है, वहीं भाजपा के खीमे में खुशी पैदा हुयी है। गोदी मीडिया को भी इसके टूटने की भविष्यवाणियाँ करने का मौका मिल गया है। यह बेहद खेदजनक है। मैं व्यक्तिगत तौर पर इससे व्यथित हूँ, कामरेड विजेन्द्र सोनी ने कहा कि ‘इंडिया’ के गठन से बड़े दलों को लाभ हुआ है और वे घमंड से चूर हो गये हैं। उनको लगने लगा है कि अब भाजपा आसानी से हार जाएगी और वे सत्ता में आ जायेंगे। इस घमंड की तंद्रा में वे गठबंधन में शामिल छोटे दलों की उपेक्षा करने लगे हैं। मध्य प्रदेश को ही लें वहाँ कांग्रेस ने भाकपा सहित किसी दल के लिए कोई सीट नहीं छोड़ी। यहाँ तक कि तमाम दल- बदलुओं को टिकिटें दे दी गयी हैं जो कांग्रेस के पक्ष में नतीजे न आने पर भाजपा में जा सकते हैं। पूर्व के अनुभव भी इस कयास की पुष्टि करते है। छत्तीसगढ़ में भी यही हो चुका है और राजस्थान में भी यही कहानी दोहराई जा सकती है। बड़े दल तर्क देरहे हैं कि ‘इंडिया’ गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए बना है। यदि ऐसा है तो फिर इसे लोकसभा चुनाव से पहले और फिलहाल हो रहे विधान सभा चुनावों के बाद ही गठित किया जाना चाहिये था ताकि छोटे दल तालमेल की उम्मीद न करते। बड़े दलों को समझना चाहिए कि छोटे दल भी भाजपा को हराने के साथ अपने दल के विस्तार और विकास की आकांक्षा रखते हैं, वे केवल अपने को बलिदान करने को गठबंधन में शामिल नहीं हुये हैं। भाकपा और वामपंथी दलों के बारे में मैं दावे से कह सकता हूँ कि वे भाजपा की कारपोरेटपरस्त व सांप्रदायिक- विभाजनकारी नीतियों से औरों की अपेक्षा काफी अधिक संघर्ष करते हैं और भाजपा को हराने के लिए जमीनी स्तर पर वातावरण तैयार करने में उनकी अहम भूमिका है। विजेन्द्र सोनी ने कहा कि पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों का सेमी फायनल हैं, ये लोकसभा चुनावों में भाजपा की हार की पृष्ठभूमि तैयार करेंगे। अतएव इन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिये और सभी धर्मनिरपेक्ष- लोकतान्त्रिक शक्तियाँ पूरी ताकत से भाजपा को हराने के अभियान में जुटें ऐसा वातावरण निर्मित किया जाना चाहिए। अब भी समय है कि मध्य प्रदेश में भाकपा  सहित अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों  को गठबंधन में सीटें दी जायें ताकि वहां भाजपा को हराने की गारंटी हो सके। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश में भाकपा ने मात्र तीन तीन सीटों की मांग कांग्रेस के समक्ष रखी है। खेद है कि कांग्रेस इस संतुलित दावे को भी तरजीह नहीं दे पा रही है। इस दावे को भी थोड़ा और भी घटाया जा सकता है। यदि यह संभव नहीं हुआ तो मध्यप्रदेश में भाकपा अधिक से अधिक सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी और पूरी ताकत से उन पर चुनाव लड़ेगी। विजेन्द्र सोनी ने कहा कि इंडिया गठबंधन अभी बहुत नया है और देश को बचाने के लिए इसकी लंबे समय तक  जरूरत पड़ेगी। अतएव इसके लोकतान्त्रिक ढंग से संचालन की प्रक्रिया और आचार संहिता तैयार की जानी चाहिये। किन्हीं कथित बड़े दलों द्वारा इसे अपनी मर्जी से हाँकने और अपने हितों तक सीमित करने की चेष्टाओं को रोकना होगा। हाल में गठबंधन के नेताओं के बीच सार्वजनिक रूप से एक दूसरे के प्रति की गयी अपमानजनक बयानबाजी भविष्य में न हो इसके लिए भी वातावरण सृजित किया जाना चाहिये I