योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन है....... प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (कुलपति)


अमरकंटक | योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योगासनों का अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म, आत्म संयम एवं पूर्णता की एकाग्रता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामान्य स्थापित करता है तथा यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। उक्त बातें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक मध्य प्रदेश के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने 10 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 के 100 दिवस अवरोही गणना क्रम के 27 में दिवस के अवसर पर मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान नई दिल्ली (स्वायत्त संस्थान आयुष मंत्रालय भारत सरकार) के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम के अध्यक्ष की उद्बोधन में कहीं। मुख्य अतिथि उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के पूर्व कुलपति प्रो. व्योमकेश त्रिपाठी ने कहा कि योग व्यायाम नहीं है योग हमारे जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता पैदा करता है। विशिष्ट अतिथि  शील मंडल की अध्यक्षा एवं विश्वविद्यालय की प्रथम महिला श्रीमती शीला त्रिपाठी ने कहा कि योग विद्या का उद्भव हजारों वर्ष प्राचीन है। व्यक्ति की शारीरिक क्षमता उसके मन व भावनाएं तथा ऊर्जा के स्तर के अनुरूप योग कार्य करता है। मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान नई दिल्ली से कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ वक्ता के रूप में पधारी डॉ. इंदु शर्मा ने योग के माध्यम से महिला स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के योग विभाग के सहायक आचार्य डॉ अरुण साव ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि योग को हम सभी को अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है इसके दैनिक जीवन में सकारात्मक अभ्यास से हम विकसित भारत के संकल्प को पूर्ण कर सकते हैं एवं संपूर्ण विश्व को बदल सकते हैं सहायक आयुक्त अनुसूचित जनजातीय विभाग अनूपपुर  अशोक शर्मा ने अष्टांग योग के बारे में इसके वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला अतिथियों का वाचन स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के  अध्यक्ष अकादमी प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने कहा कि आज सभी को योग अभ्यास से व्याधियों की रोकथाम अच्छी देखभाल एवं स्वास्थ्य लाभ मिलने का दृढ़ विश्वास है। संपूर्ण विश्व में लाखों लोग योग अभ्यास से लाभान्वित  हो रहे हैं। कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे डॉ. रमाशंकर यादव डॉ. अभिषेक मिश्रा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय  विश्वविद्यालय अमरकंटक के योग विभाग के छात्र-छात्राओं शासकीय कन्या विद्यालय की छात्राओं द्वारा उत्कृष्ट रूप से योगासनों एवं योग पिरामिड का प्रदर्शन किया गया। जनजातीय वाद्य यंत्र गुदुम्ब  वादन के साथ भी विभिन्न योगासनों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में लगभग 1000 लोगों ने भाग लिया कार्यक्रम में जवाहर नवोदय विद्यालय अमरकंटक कल्याणीका केंद्रीय शिक्षा निकेतन अमरकंटक, कन्या शिक्षा परिसर लालपुर,पोड़की, शासकीय माध्यमिक विद्यालय पोड़की, कन्या शिक्षा परिसर लखौरा, पुष्पराजगढ़, मॉडल ट्राईबल विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय, igntu , अमरकंटक, सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अनूपपुर, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय अनूपपुर, कन्या शिक्षा परिसर, अनूपपुर, विश्वविद्यालय के आचार्य गण, अधिकारीगण कर्मचारीगण, एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। आयोजन में शामिल प्रमुख लोगों में वरिष्ठ आचार्य प्रो. अवधेश शुक्ला, अधिष्ठाता छात्र कल्याण- प्रो. भूमि नाथ त्रिपाठी, डॉ. ललित मिश्रा ,विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग , शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एम. पी. गोड़ , डॉ. मनोज कुमार पाण्डेय , डॉ.  दिलीप चौधरी डॉ.  आलोक सिंह डॉ.  हिमांशी वर्मा, डॉ.  राकेश प्रसाद, राष्ट्रीय कैडेट कोर के अधिकारी डॉ.  जितेंद्र सिंह, प्रो.  हंजूबम सुखदेवा  शर्मा, डॉ.  धर्मेंद्र झारिया, डॉ पी. के.  गुप्ता डॉ.  नीलम श्रीवास्तव डॉ. संजय यादव, डॉ दिग्विजय चौबे, डॉ, पंकज तिवारी,  विवेक नेगी, संस्कार तिवारी, जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य डॉ एस.के.राय.,  आर के झा ,शेख वाहिद,  कमलेश देवकते, अनिमा ओझा, सुश्री साधना रैयकवार,  ओम प्रकाश सिंह, सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अनूपपुर के प्रबंधक   आदर्श दुबे,  प्राचार्य  सतीश सिंह, अर्जुन टाडिया। उक्त अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण - प्रो भूमिनाथ त्रिपाठी द्वारा मतदाता जागरूकता शपथ भी दिलाया गया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कॉमन योग प्रोटोकॉल का अभ्यास योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. श्यामसुंदर पाल एवं डॉ. संदीप ठाकरे द्वारा संयुक्त रूप से कराया गया। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के संयोजक डॉ. हरेराम पाण्डेय ने एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए योग संकाय के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष योग एवं प्रभारी वित्त अधिकारी प्रो. जितेंद्र शर्मा ने कहा कि व्यक्ति की शारीरिक क्षमता उसके मन व भावनाएं तथा ऊर्जा के स्तर के अनुरूप योग कार्य करता है। उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि ने उसे समय की प्रचलित प्राचीन योग अभ्यास को व्यवस्थित व वर्गीकृत किया।