सोमवती अमावस्या पति के लम्बी आयु के लिए महिलाओं ने पीपल के वृक्ष के लगाए 108 फेरे
नर्मदा नदी के घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, मां नर्मदा सरोवर में लगाई डुबकी
अनूपपुर। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में सोमवार को सोमवती अमावस्या को लेकर व्रती महिलाओं ने पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना की तथा अपने पति की लंबी आयु व परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। सोमवती अमावस्या को लेकर विभिन्न जगहों पर पीपल के पेड़ के नीचे व्रती महिलाओं की भीड़ लगी रही। व्रती महिलाओं ने सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर अपने आस-पड़ोस के पीपल के पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंची। जिले की पवित्रनगरी अमरकंटक के नर्मदा सहित जिला मुख्यालय के सोन-तिपान नदी संगम पर श्रद्धालुओं द्वारा नदियों में आस्था की डुबकी लगाई जाएगी। जबकि राजेन्द्रग्राम, कोतमा, जैतहरी, राजनगर, बिजुरी सहित अन्य क्षेत्रों से गुजरती नर्मदा, सोन, जुहिला, तिपान, केवई सहित अन्य नदियों के नदीघाटों पर अधिकांश लोगों ने भी स्नानकर इष्टदेवों की विशेष पूजा अर्चना की। जहां महिलाओं ने पीपल पेड़ की 108 बार परिक्रमा कर अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। साथ ही महिलाओं ने वहां मौजूद पुरोहित से सोमवती अमावस्या की कथा भी सुनी। पंडित नरेन्द्र शुक्ला ने बताया कि सोमवार को होने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन किया गया स्नान, ध्यान, जप और दान अनंत फलदायी होता है। हिदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस अमावस्या का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि पीपल के वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, शाखा में शिव तथा सभी पत्तों में देवताओं का वास होता है। इसलिए पीपल वृक्ष की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है तथा सभी सुख प्राप्त होते हैं। शहर सहित सभी प्रखंडों व गांवों में महिलाओं ने श्रद्धा भाव से पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना किया। सोमवती अमावस्या के दिन सुबह से ही नर्मदा नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा सरोवर में डुबकी लगाकर माता नर्मदा का पूजन अर्चन किया। मान्यता है कि इस दिन नर्मदा नदी में डुबकी लगाने से कष्ट दूर हो जाते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान, और पितृ पूजन किया जाता है। इस दिन कुछ उपाय करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। शास्त्रों के मुताबिक, सोमवती अमावस्या के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए, मांस-मदिरा और लहसुन और प्याज नहीं खाना चाहिए, घर में किसी भी तरह का वाद-विवाद नहीं होना चाहिए, किसी इंसान के प्रति मन में गलत विचार नहीं लाने चाहिए।