भाजपा सरकार के सो दिन कुछ नहीं बदला अनूपपुर में बदला तो सत्ता का दरबार
खनन माफियाओं ने बनाया कानून को मजाक कहां है मुख्यमंत्री की जीरो टारलेस
इन्ट्रो-प्रदेश में भाजपा सरकार के 100 दिन पूरे होने पर प्रदेश के मुखिया शासन चलाने के लिए करण निर्णय लेने की जरूरत भले ही बता रहे हैं लेकिन अनूपपुर जिले में देखा जाए तो उस भाजपा सरकार और इस भाजपा सरकार में केवल एक चीज बदली वहां है सत्ता का दरबार जिसे अब अनूपपुर की जनता पुरानी बोतल में नई शराब बता रही है।
(राम भैय्या)
अनूपपुर।
प्रदेश में नई भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा भी बदला मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद डॉ मोहन यादव ने प्रदेश में कानून व्यवस्था के साथ-साथ सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार खत्म करने की क्वायद शुरू की यही नहीं मुख्यमंत्री ने सर्वप्रथम सड़क के किनारे खुले में मांस की बिक्री पर रोक लगाने के साथ तीज आवाज में बज रहे साउंड सिस्टम पर भी अंकुश लगाने का फरमान जारी किया। जैसा कि अब तक होता आया है मुख्यमंत्री के सारे आदेश कुछ दिनों तक तो विभागों द्वारा उसे असली जामा पहनाने की कोशिश की गई लेकिन उसके बाद जनता के साथ-साथ सरकारी अधिकारी भी मुख्यमंत्री के आदेश को भूल गए यही कारण है कि आज भी अनूपपुर के सड़कों पर जहां खुलेआम खेलों पर मांस की बिक्री हो रही है वही धार्मिक स्थलों पर कान फोड़ू आवाज सुनकर हर कोई बस एक ही बात कहता है कहां गया मुख्यमंत्री का फरमान क्या ऐसे ही चलेगी मध्य प्रदेश की सरकार फिलहाल जिले में ना तो भ्रष्टाचार खत्म हुआ और ना हीं पटरी से उतर चुकी कानून व्यवस्था में कोई सुधार हुआ है। यह जरूर हुआ कि जिले के खनिज माफिया पुलिस कप्तान को धमकी देने के बाद पुलिस कर्मियों के गिरेवाह  तक अपने हाथ पहुंचने लगे। जिले में खनिज विशेष कर रेत माफियाओं की धमा चैकड़ी देखकर अब तो जनता भी कहने लगी है शराब वही है उसे पुरानी बोतल की जगह नई बोतल में डालकर जनता के बीच पेश किया जा रहा है।
जिले के सबसे भ्रष्ट विभाग में कुछ नहीं बदला
जिले के सबसे भ्रष्ट विभाग से अलंकृत विभाग की नाम लेने की जरूरत नहीं है। जिले के किसी भी कोने में चाय पान की दुकान पर भी खड़े होकर अगर यह पूछा जाए कि जिले का सबसे भ्रष्ट विभाग कौन सा है तो जनता के मुंह से यही निकलता है की जो विभाग मुख्यमंत्री के पास है उस विभाग की यहां अधिकारी इस कदर मनमानी और लूट मचा रखे हैं कि लगता है कि इनके संरक्षण में जिले की खनिज संपदा अब सुरक्षित नहीं रहेगी। जी हां यहां पर बात की जा रही है जिला खनिज विभाग की जहां पर बैठे अधिकारियों की मनमानी के कारण खनिज माफिया के हौसले इस तरह से बुलंद है कि जो काम कभी रात के अंधेरे में होता था वह अब दिन दहाड़े होने लगा है। फिलहाल खनिज विभाग के अधिकारियों की मनमानी के कारण जहां प्रदेश सरकार के ऊपर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। वही खनिज माफियाओं के कारण सरकार को कई करोड़ का चुनाव हर माह लग रहा है।
बदला तो बस सत्ता का दरबार
शिवराज सरकार और मोहन सरकार के बीच अगर कुछ बदले जाने की बात अनूपपुर जिले में की जाए तो बस एक ही बात बदली वह है भाजपा के सत्ता का दरबार जिस तरह प्रदेश में शिवराज सिंह की जगह डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया इस तरह अनूपपुर जिले में अनूपपुर के विधायक बिसाहू लाल की जगह कोतमा के विधायक दिलीप जायसवाल को मंत्री बनाया गया। दिलीप जायसवाल के मंत्री बनने के बाद अनूपपुर के जिले के लोगों को लगा के शायद अब आम जनता की पुकार सुनी जाएगी और जिले की बद से बदतर होती कानून व्यवस्था और कई विभागों में बढ़ रही भ्रष्टाचार की गंगा पर रोक लगेगी। लेकिन विगत 100 दिनों में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला ना तो जिले की कानून व्यवस्था में कोई सुधार हुआ और ना ही सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर कोई अंकुश हां यह जरूर हुआ कि पहले अनूपपुर जिले के मुख्यालय में लगने वाला सत्ता का दरबार जिले के छत्तीसगढ़ सीमा के एक कोने बिजुरी में लगने लगा इस दरबार में दरबारी तो बदल गए लेकिन आम जनता को इस दरबार से भी कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है। वैसे दिलीप जायसवाल का मात्र कोतमा विधानसभा क्षेत्र तक सीमित होना भी जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है तो वही अनूपपुर के पहले के दरबारी अब अपने घरों में कैद होकर फांका मस्ती जैसा माहौल में जी रहे हैं। फिलहाल प्रदेश सरकार या कहा जाए की अनूपपुर जिले के मंत्री के 100 दिन पूरे होने के बावजूद अनूपपुर जिले की हालत जहां जस का तस है वही इस स्थिति में कब सुधार होगा इस बात का भी अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि जब जिले का मंत्री अपने आप को केवल अपने विधानसभा तक सीमित कर ले तो जिले के हालात का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।