जालसाजी कर आनंद अग्रवाल को बेंची गयी नगर परिषद जैतहरी के नजूल की भूमि में जिम्मेदार बराबर के हिस्सेदार,राघव बिंदल शपथ पत्र के माध्यम से पहले ही स्वीकार चुका उसके पिता भीखम सराफ के पिता नत्थूलाल के पिता बृज मोहन सराफ रहे,रजिस्टार की भूमिका अहम 
नगर परिषद जैतहरी के खसरा नंबर 733 के रकवा 0.116 हेक्टेयर के जुज रकवा 2784 वर्गफीट नजूल की भूमि को बेंचने वाले राघव बिंदल पिता स्वर्गीय भीखम सराफ व आशा सराफ पति स्वर्गीय भीखम सराफ अब सवालो के कटघरे में है। उसकी वजह है कि राघव बिंदल द्वारा बेंची गयी नजूल की भूमि में भीखम सराफ के पिता नत्थू लाल सराफ के पिता लक्ष्मी नारायण को बताया गया, जबकि राघव बिंदल ने 28 जून 2019 को तहसीलदार कोतमा के यहां फौती नामांतरण के लिये दिये आवेदन में प्रस्तुत शपथ पत्र के माध्यम से तहसीलदार को अपने दादा नत्थू लाल का पिता बृज मोहन सराफ को बताया है। कुल मिलाकर नजूल की उक्त भूमि व् वारिसदार न होते हुये भी वारिसदार मालिक बनकर बेंचने के लिये जालसाजी की गई जो अपराध की श्रेणी में आता है।

अनूपपुर- वैसे तो जैतहरी नगर परिषद क्षेत्र की नजूल भूमि की हेरा-फेरी के मामले खंगाले जाये तो एक नही कई मामले सामने आयेंगे जिसमें कि दस्तावेजों से छेडछाड कर किसी और के नाम रही नजूल की भूमि और किसी के नाम हो गयी। आनंद अग्रवाल को राघव बिंदल पिता स्वर्गीय भीखम सराफ व आशा सराफ पति स्वर्गीय भीखम सराफ द्वारा नजूल की भूमि का बाकायदे रजिस्ट्री पत्र निष्पादित कराने के बाद मामला सामने आया जिसमें कि आनंद अग्रवाल द्वारा विभिन्न दिनांको को 28 लाख रूपये चेक के माध्यम से राघव बिंदल को दिये गये। सूत्रो की माने तो यह सौदा 85 लाख में हुआ जिसमें दस्तावेजो में हेर-फेर करने वालो ने भी अपना हिस्सा लिया है। बहरहाल हमारा इससे कोई वास्ता नही लेकिन शासन के साथ की गई धोखाधडी प्रशासन के सामने लाने की जिम्मेदारी का निर्वहन सर्वोच्च सत्ता बेखौफ होकर करता रहेगा।
राघव बिंदल ने बताया अपना सेजरा
तहसीलदार तहसील कोतमा के समक्ष 28 जून 2019 को फौती नामांतरण के लिये राघव बिंदल द्वारा किये गये आवेदन पत्र में लिखा गया कि ग्राम पथरौडी पटवारी हल्का पथरौडी राजस्व निरीक्षक मंडल कोतमा जिला अनूपपुर स्थित भूमि अराजी खसरा नंबर 2272/2 रकवा 2.352 हेक्टेयर भूमि नत्थू लाल सराफ के स्वामित्व व कब्जे दखल मालिकाना अधिकार की भूमि है जो राजस्व रिकार्ड के अभिलेख में दर्ज है। जिसमें नत्थू लाल सराफ की मृत्यु 4 अप्रैल 2010 को निज निवास ग्राम कोतमा तहसील कोतमा में हो चुकी है और आवेदक के पिता स्वर्गीय भीखम चंद सराफ के विधिक वारिषान हैं जिसमें प्रस्तुत वंष-वृक्ष सेजरा में नत्थू लाल सराफ फौत पत्नी शांति देवी सराफ फौत पुत्र भीखम चंद सराफ फौत और उनसे पौत्र राघव बिंदल पुत्रवधू आशा सराफ पौत्री पारूल सराफ मौजूद हैं।  
जालसाजी की खुद गवाही देता राघव बिंदल
फौती नामांतरण के लिये राघव बिंदल के द्वारा न्यायालय श्रीमान तहसील कोतमा में 28 जून 2019 को किये गये आवेदन के साथ दिये गये शपथ पत्र के बिंदु क्रमांक 2 में लिखा कि मुझ शपथकर्ता के दादा नत्थू लाल पिता बृज मोहन सराफ निवासी कोतमा के भूमि स्वामित्व की आराजी खसरा नंबर 2272/2 रकवा 2.352 हेक्टेयर ग्राम पथरौडी पटवारी हल्का पथरौडी तहसील कोतमा में स्थित है। जिसके पालन प्रतिवेदन में हल्का पटवारी द्वारा तहसीलदार कोतमा को लोकसेवा के आवेदन आधार पर दी गयी जानकारी के बिंदु क्रमांक 02 में लिखा गया कि उक्त खाते पर फौती नामांतरण हेतु राघव बिंदल द्वारा आवेदन किया गया आवेदक वर्तमान में ग्राम कोतमा में निवासरत है। उक्त आराजी के भू स्वामी नत्थू लाल पिता बृजमोहन रहे। ग्रामवासियो को वारिषदारो के संबंध में जानकारी नही है। पटवारी द्वारा प्रस्तुत मौका पंचनामा में वर्तमान अभिलेखा अनुसार भूमि स्वामी नत्थू लाल पिता बृजमोहन जाति सराफ के नाम दर्ज अभिलेख बताया। वही उन्होंने यह लिखा कि ग्रामवासियो के बताये अनुसार आवेदक कोतमा निवासी है जिससे सेजरा की सही जानकारी नही मिल पा रही है। आवेदक के बताये अनुसार उक्त भूमि उसके दादा नत्थू लाल पिता बृजमोहन जाति सराफ के नाम दर्ज है। तहसीलदार द्वारा पारित आदेश में भी राघव बिंदल के दादा नत्थू लाल के पिता बृजमोहन को बताया गया है। फिर राघव बिंदल द्वारा नत्थूलाल सराफ पिता स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण के नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र कोतमा नगरपालिका के जावक क्रमांक 150 दिनांक 20 अप्रैल 2010 कैसे प्रस्तुत किया गया और जैतहरी नगर परिषद के नजूल की भूमि में भी नत्थू लाल सराफ के पिता का नाम लक्ष्मी नारायण बताया गया और अपने आप को लक्ष्मी नारायण का वारिशदार। कुल मिलाकर राघव बिंदल द्वारा फौती नामांतरण के लिये खुद दिये गये शपथ पत्र व आवेदन में नत्थू लाल के पिता बृज मोहन का उल्लेख कर जालसाजी की गवाही दी जा रही है।

रजिस्टार भी इस पूरे खेल में शामिल 
अनूपपुर में पदस्थ रजिस्टार संत कुमार कुशवाहा भी इस पूरे फर्जीवाड़े में उतने ही दोषी नजर आ रहे है जितने इस सडयंत्र में आनंद अग्रवाल,राघव बिंदल है चूँकि रजिस्टार की जिम्मेदारी बनती है की कोई भी रजिस्ट्री या अनुबंध पत्र करने से पहले सभी दस्तावेजों की जाँच की जनि चाहिए,जिस जमीन का विक्रय अनुबंध पत्र रजिस्टार के यहाँ हो ही नहीं सकता पर साहब ने नियम कानून को ताक पर रखते हुए सांठगांठ कर पहले तो जमीन का विक्रय अनुबंध पत्र कर दिया जबकि उस में साफ़ लिखा है की क्रेता और विक्रेता के बीच कितने का सौदा हो रहा है तो क्या साहब ने ये देखना भी उचित नहीं समझा की ये जमीन नजूल की है और असली जमीन का मालिक कौन है या कब्जेदार कौन है कहीं न कहीं रजिस्टार साहब की मिली भगत दिखाई देती है सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नकल शाखा में मौजूद सोनी साहब को इस जमीन की पूरी हकीकत पता थी और इस जमीन के विक्रय में उनके अहम योगदान की बात भी सामने आ रही है सूत्रों की माने तो इस पूरे फर्जीवाड़े में सबने अपनी चढ़ोत्तरी ले कर पूरी ईमानदरी से सरकारी जमीन को बिकवाने में अपनी महती भूमिका अदा की है ,देखना लाजमी होगा की जिला प्रशासन आखिर कब जागते हुए इस पूरे प्रकरण की जाँच कर दोषियों पर कार्यवाही करता है