लोकसभा में जीत का अंतर बताएगा भाजपा में बढ़े कांग्रेस के कुनवे की हकीकत
हजारों हजार कांग्रेसियों ने हाथ का साथ छोड़ भाजपा का कमल खिलाने खाई कसम!
इन्ट्रो- राजनीति में कोई किसी का न स्थाई दोस्त होता है और न दुश्मन होता है नेता सब अपने फायदे के लिए समय के साथ दल बदल लेते हैं अपने आप को पैदाइशी कांग्रेसी खाने वाले अब भाजपा में शामिल होकर भाजपाई कहलाएंगे, पानी पी-पी पीकर एक दूसरे को कभी सौहार्द पूर्ण गलियां बकने वाले नेता अब एक मंच पर गलबहियां डाले नजर आ रहे हैं, फिर जीत का अंतर न बढ़ा तो भाजपा में कांग्रेस के बढ़े कुनवे की हकीकत जग जाहिर होगी, लोकसभा चुनाव के पहले से भाजपा में कांग्रेस नेताओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है, भाजपा मीडिया प्रभारी के द्वारा जारी खबरे में अब तक हजारों हजार कांग्रेसियों ने हाथ का साथ छोड़कर भाजपा का कमल खिलाने की कसम खाई है, ऐसे में भाजपा की जीत पक्की तो वह पहले से मान रहे हैं अब सवाल जीत के लिए मतों का कितना अंतर होगा यह बहुत मायने रखेगा।

(राजनारायण द्विवेदी)
अनूपपुर
। लोकसभा 2024 का आम चुनाव शहडोल के इतिहास में कई बातें दर्ज कर सकता है, जिसमे भाजपा में कांग्रेस नेताओं के शामिल होने का मामला सबसे बड़ा होगा इसके साथ ही शहडोल लोकसभा की जनता द्वारा बीते 5 सालों में संसदीय क्षेत्र में मौजूदा संसद द्वारा किए गए विकास पर खड़े किए जा रहे सवाल बरहाल बढ़ती तपन के साथ चुनावी सरगर्मी भी धीरे-धीरे अपने शबाब पर आती दिखाई पड़ रही है। गांव कस्बों से लेकर प्रमुख नगरों तक चुनावी शोर गुल शुरू हो गया है, जहां भारतीय जनता पार्टी के द्वारा बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंप दी गई है तो वहीं कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दल फिलहाल कार्यकर्ता खोज रहे हैं, जनता का मिजाज अभी कुछ समझ नहीं आ रहा है, ऐसे में अपनी डफली अपना राग हर एक राजनैतिक दल के नेता अलाप रहे हैं। उधर राजनैतिक विश्लेषकों की माने तो इस बार का लोकसभा चुनाव कांग्रेस बनाम कांग्रेसी हो रहा, क्योंकि कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेता उसी कांग्रेस के नेतृत्व को कोसेंगे जिस नेतृत्व के साथ रहकर अब तक भाजपा को कोसते आए हैं। विकास की सोच को लेकर किसी के द्वारा इसीलिए कोई बात नहीं की जा रही है क्योंकि जब एक दूसरे पर छींटाकसी करने से सफलता हासिल होनी है तो फिर किसी और मुद्दे पर क्यों बात हो।
विचारधारा के लिए नहीं छोड़ी कांग्रेस
शहडोल लोकसभा की अनूपपुर विधानसभा से भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस नेता हकीकत खुद बयां कर रहे हैं कि उन्होंने विचारधारा के लिए नहीं बल्कि जिसे वह मानते थे उनके लिए कांग्रेस छोड़ी है, यह हम नहीं कह रहे हैं सोशल मीडिया पर आती तस्वीरों पर होते कमेंट्स बोल रहे हैं, बहरहाल तीन-तीन विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने का दावा करने वाले नेता लोकसभा के इस चुनाव में कितने मतों का इजाफा करवा पाएंगे यह भी बहुत कुछ मायने रखेगा क्योंकि जनता के बीच में पहुंचकर पहले दल बदलने का दुखड़ा रोएंगे तब भाजपा का कमल खिलाने के लिए कुछ कह पाएंगे।
नहीं दी गई कोई अहम जिम्मेदारी
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने वाले कांग्रेस से आए नेताओं को भाजपा सूत्रों की माने तो उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई है यानी कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी की रीति नीति व सिद्धांतों का पाठ पढ़ना होगा तब तो वह उस स्थान पर बैठ पाएंगे, हालांकि यह सब उनका अंदरूनी विषय है की किसे क्या जिम्मेदारी देनी है या नहीं देनी है लेकिन फिलहाल उनके चेहरों से गायब चमक से सवाल खड़ा होता रहेगा, फिलहाल उन्हें भाजपा के मंच में जगह बनाने में समय लगेगा लेकिन चुनाव में झंडा तो उठाना पड़ेगा अन्यथा यही कहा जाएगा की रहकर भी बे मन से रहे।