शिवराज सरकार युवा नीति नहीं बना रही, युवाओं की दुगर्ति की नीति बना रही है- रमेश  सिंह

@रिपोर्ट - मो अनीश  तिगाला 

अनूपपुर / जिला कांग्रेस कमेटी अनूपपुर द्वारा 23 मार्च को  प्रेस वार्ता का आयोजन जिला मुख्यालय स्थित रेस्ट हॉउस मे किया गया  जहाँ जिलाध्यक्ष रमेश सिंह, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता वासु देव चटर्जी,पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रामखेलावन राठौर, वरिष्ठ कांग्रेसी गुलाब पटेल, उपस्थित रहे  | प्रेस वार्ता में जिलाध्यक्ष रमेश ने बताया कि  मध्यप्रदेश के गौरवमयी प्रजातंत्रीय इतिहास पर खरीद-फरोख्त की बदनुमा दाग साबित होती भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकार 23 मार्च 2023 को प्रदेश की युवा नीति घोषित करने जा रही है। इस अवसर पर बीते 18 साल की भाजपा सरकार की युवाओं को लेकर नीति और नीयत का मूल्यांकन किया जाना बेहद जरूरी है।  युवाओं के भविष्य बेचने की नीति कहते हैं कि 'पूत के पांव' पालने में दिख जाते हैं, मप्र भाजपा सरकार ने
सत्ता में आते ही प्रदेश के करोड़ों युवाओं के भविष्य की बोली लगाकर विश्व के सबसे व्यापक और वीभत्स व्यवसायिक परीक्षा मंडल के घोटाले को आकार दिया। इस घोटाले का पहला बड़ा अपराध पीएमटी फर्जीवाड़े से संबंधित था, 12/6/2004, अपराध क्रमांक 342/04 इसके बाद 13 से अधिक सरकारी नौकरी भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में 75 लाख से अधिक प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। पुलिस कांस्टेबल, खाद्य निरीक्षण चयन टेस्ट, सूबेदार उपनिरीक्षक व प्लाटून कमांडर, मिल्क फेडरेशन जैसी अनेक भर्ती परीक्षा में घोटाला किया गया। बेहद शर्मनाक तथ्य यह है कि व्यवसायिक परीक्षा मंडल ने न सिर्फ युवाओं के भविष्य को लूटा, अपितु बीते 10 साल में उसने इन बेरोजगारयुवाओं से 1046 करोड़ रूपये फीस के रूप में वसूल कर 455 करोड़ रुपये
का शुद्ध मनाफा भी कमाया।

*बेरोजगारी से बेजार कर देने की नीति* 
भीषणतम भ्रष्टाचार में डूबी मप्र भाजपा सरकार ने प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी के अंधकार में धकेल दिया है। हाल ही में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने विधानसभा में इस बात को स्वीकारा की प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में रजिस्टर्ड 37 लाख 80 हजार 679 शिक्षित एवं 1 लाख 12 हजार 470 अशिक्षित बेरोजगार आवेदक रोजगार की बाट जोह रहे हैं और 01 अप्रैल 2020 से अब तक अर्थात बीते तीन वर्षों में मात्र 21 लोगों को शासकीय और अर्द्धशासकीय कार्यालयों में रोजगार उपलब्ध कराया गया है।

*सी.एम.आई.ई. का खुलासा युवा हुआ रुआंसा*

 सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमिकी सितम्बर से दिसम्बर 2022 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मप्र में 2 करोड़ 50 लाख 97 हजार लेबर फोर्स है अर्थात काम करने वाले लोग है और लेबर पार्टिसिपेशन रेट 38. 18 प्रतिशत है। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि 15 से 19 वर्ष के 36.95 प्रतिशत युवाओं को प्रदेश में काम नहीं मिल रहा है, 20 से 24 साल के 34.76 प्रतिशत युवाओं को काम नहीं मिल रहा है और 25 से 29 साल के 15 प्रतिशत युवाओं को काम नहीं मिल रहा है। महिलाओं के लिए तो यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, 15 से 19 वर्ष की 100 प्रतिशत युवतियों को 100 प्रतिशत काम नहीं मिल रहा है, 20 से 24 वर्ष की युवतियों 82.41 प्रतिशत और 25 से 29 वर्ष की महिलाओं को 12.76 प्रतिशत महिलाओं को काम नहीं मिल रहा है।
*भविष्य की नहीं आस उच्च शिक्षित युवा निराश*
मप्र की भाजपा सरकार की अकर्मण्यता की बजह से यह हालात पैदा हो गये है कि प्रदेश के बेहद शिक्षित और योग्य युवाओं के पास अपने भविष्य संवारने के कोई अवसर नहीं बचे है। हाल ही में पटवारी भर्ती परीक्षा 2023 में 6000 पदों के लिये 12 लाख युवाओं ने आवेदन दिये जिसमें 4 लाख से अधिक आवेदक इंजीनियर, एमबीए और पीएचडी परीक्षा उत्तीर्ण हैं जिसमें से स्नात्तकोत्तर के 01 लाख 80 हजार एमबीए के 80 हजार, इंजीनियनिंग में बीई और बीटेक के 85 हजार और पीएचडी के 1000 छात्रों ने आवेदन किया है। इसके कुछ वर्ष पहले भी विभिन्न विभागों में चपरासी और चौकीदार बनने के चतुर्थ श्रेणी के 1333 पदों के लिए, जिसकी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा आठवीं पास थी, जिसमें बीटेक, इंजीनियर, एमकॉम, एमएससी और एमए करने वाले पोस्ट ग्रेज्यूट्सों ने आवेदन किया था, 04 लाख से अधिक आये आवेदनों में से 62 हजार से अधिक ग्रेज्यूट थे।
*बेरोजगारी का वार आत्महत्याओं की मार*
मप्र में भाजपा सरकार और बेरोजगारी ने साथ-साथ पैर पसारे हैं। छात्रों में बेरोजगारी की निराशा इस हद तक व्याप्त हो गई कि उसने अपने उज्जवल भविष्य का अवसर न देखकर आत्महत्या को गले लगा लिया। 
*उच्च शिक्षा बदहाल भविष्य बेहाल*
 मप्र में विश्वविद्यालय और उससे संबंधित विभागों में इनरालमेंट 6 लाख 51 हजार 375, वहीं कॉलेजों में 18 लाख 82 हजार 800 और स्टैंड आलोन इंस्टीट्यूशन में 64 हजार 386 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। अर्थात मप्र के कुल सभी शैक्षणिक संस्थानों में 25 लाख 98 हजार 561 छात्र पढ़ रहे हैं। मप्र को देश के सर्वाधिक आदिवासी भाईयों के निवास वाले प्रांत का गौरव हासिल है। कुल आबादी का 21 प्रतिशत से अधिक आदिवासी भाई मप्र में निवासरत हैं, 
मप्र के यशस्वी नेता कमलनाथ  ने अपने 15 माह के कार्यकाल में यह तय किया था कि मप्र के सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों में ई-क्लासेस प्रारंभ की जायेंगी प्राथमिक रूप से 200 कॉलेजों में इसकी शुरूआत निर्धारित की गई थी, जिसमें ई-कंटेंट तैयार कराये जा रहे थे। लैग्वेज लेब स्थापित करने का निर्णय किया गया था, जिसके लिए 200 कॉलेज चिन्हित किये गये थे। रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों को स्किल डेब्लपमेंट के साथ निर्धारित किया गया था स्थानीय उद्योगों के साथ सामंजस्य बिठाकर स्किल ट्रेनिंग की व्यवस्था की जा रही थी।