किसी और के कर्मो का फल था जो विधायक बने थे,अहंकार तो रावण के पतन की वजह था 

अनूपपुर - अनूपपुर जिले की  कोतमा विधान सभा क्षेत्र 86 जो शहडोल लोकसभा की एक मात्र सामन्य सीट है और इसी के चलते सबसे ज्यादा चुनावी सरगर्मी यही देखने को मिलती है और वर्तमान विधायक सुनील सराफ की किस्मत का तकाजा समझे या भाजपा की नाकामयाबी जो सुनील सराफ विधायक बने ऐसा हम नहीं उल्ट उन्ही के पार्टी के नेता अकसर कहते सुनाई दे रहे है पर हमारा मनना इससे थोड़ा अलग है 
पूर्व विधायक मनोज अग्रवाल के कर्मो का फल था जो आप विधायक बने 
2013 विधान सभा चुनाव दौरान जब भाजपा की लहर थी उस दरमियान कांग्रेस नेता मनोज अग्रवाल ने  2013 के विधानसभा चुनाव में  38319 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी रहे स्वर्गीय राजेश सोनी को  1546 मतों के अंतर से हराया था, 36773 वोटों के साथ स्वर्गीय राजेश सोनी (बीजेपी) दूसरे स्थान पर रहे थे , तीसरा स्थान 7202 वोटों के साथ खुर्शीद अहमद (बीएसपी) का था, 5454 वोटों के साथ जीजीपी को चौथा स्थान मिला था .

चुनाव में कुल 103931 मत पड़े थे. कुल 72.81% मतदान था और इस कसमकश भरे चुनाव में मनोज अग्रवाल ने चुनाव महज इसलिए जीता था की उनकी अपनी एक साफ़ सुथरी छवि थी और भाजपा के अपने लोगों ने ही पार्टी के खिलाफ बगावत की थी पर 2013 में भाजपा के चुनावी बयार बहने के बाद भी मनोज अग्रवाल का चुनाव जितना उनके दम्भ का कारण नहीं बना और पूरे पांच वर्षों तक निर्विवाद विधायक के रूप में मनोज अग्रवाल ने कार्यकाल पूरा किया और विधायक होने के साथ साथ एक बड़े उद्द्योगपति घराने से तालुक्कात रखने वाले मनोज अग्रवाल लगातर पांच वर्षों तक आम जनता के बीच अच्छी छवि बनाये रखी और अपने स्तर पर लोगों के काम भी करते रहे और इसका नतीजा पार्टी ने उन्हें टिकट काट कर पुरुष्कृत भी किया पर वो ख़ामोशी से रहे और उनके अच्छे कार्यों का नतीजा था की सुनील सराफ को टिकट मिलने के बाद जीत आसानी से मय्यसर हो गई पर कहते है न जब किसी को बिना किसी कर्म के कुछ अप्रत्याशित मिल जाता है तो अहंकार घर कर जाता है और आज कोतमा विधान सभा में पहले बार ऐसी स्थति ाँ पड़ी है की कांग्रेस का एक भी जिम्मेदार नेता वर्तमान विधायक सुनील सराफ के साथ नहीं है इन महाशय का विवादों से चोली दामन का साथ था और इसका गवाह कोतमा ही नहीं पूरे प्रदेश ने देखा है की किस किस तरह के आरोप माननीय पर लगे है पर ये जनाब है की जनता का काम करने की जगह अपने ही पार्टी के लोगों को निपटाने में ब्यस्त दिखाई दे रहे है 

कार्यकर्ताओं की माने तो तुम सा नहीं देखा 
कोतमा विधानसभा ने अब तक कुल 14 विधायक देखें उनमे से ये माननीय 14 वें है इनके पहले -1957: हरि राज कुंवर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1962: गिरजा कुमारी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1967: के. एम. सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1972: मृगेंद्र सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1977: बाबूलाल सिंह, जनता पार्टी,1980: भगवानदीन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई),1985: भगवानंदीन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1990: छोटे लाल भारतीय, जनता पार्टी,1993: राजेश नंदनी सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1998: जय सिंह मरावी, भारतीय जनता पार्टी,2003: जय सिंह मरावी, भारतीय जनता पार्टी,2008: दिलीप जायसवाल,भारतीय जनता पार्टी,2013: मनोज कुमार अग्रवाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,2018: सुनील सराफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन सब में अगर आज कोई सबसे विवादित नाम है तो वो है वर्तमान विधायक सुनील सराफ और ये हम नहीं कहते उनके अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं का मन्ना है कुछ अमावस्य कहते है तो कुछ तो कोतमा का ग्रहण मानते है, पार्टी  से लेकर विधानसभा कोतमा की किरकिरी अक्सर कराते रहते है और हर दो चार महीने में कोई न कोई ऐसा कांड करेंगे जिससे सुर्ख़ियों में रहे पर साहब ये जनता है अआप की सुर्खिया नहीं उन्हें अपना काम चाहिए 
माननीय बताये बीते चार सालों में एक भी गौरवांन्वित करने वाला विकास कार्य 
कोतमा विधायक को चसार साल विधायक बने हो गए और अब वक्त है रिपोर्ट कार्ड का की आपने पिछले चार वर्षों में कोतमा विधान सभा को एक ऐसी कौन सी सौगात दी जो आने वाले भविष्य में दोहराई जाए की ये माननीय जननायक के कार्यकाल का विकासनामा है हाँ इतना जरूर याद रखा जायेगा की कोतमा को एक ऐसा जननायक मिला जो अपनों को ही नहीं बख्सा 
और 2018 में आप की अपनी छवि जीत का कारण नहीं थी इस दम्भ मवे मत रहिएगा ये पूर्व विधायक मनोज अग्रवाल के 2013 में जीत के बाद बोये गये पेड़ों की फसल थी जो आप ने काटी है पर काटने के बाद आप ये भूल गए की अगर फसल को सुरक्षित नहीं किया जाये तो घुन लग जाती है और कुछ ऐसा ही हश्र आप का है