आमाडांड के आदिवासी किसानों में खौफ का कारण बना सरदार का बुलडोजर
फीका रहा पर्व, अनसन स्थल पर उदास बैठे रहे आदिवासी किसान 
(राम भैय्या)
इन्ट्रो-आमाडांड खुली खदान को लेकर एसईसीएल के अधिकारी अब मनमानी पर उतर आये हैं। पुलिस प्रषासन और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता के बाद मामला सुलझते न देख एसईसीएल के अधिकारी विषेषकर जमुना, कोतमा क्षेत्र के जीएम सरदार हरजीत सिंह मदान ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है। बनाये भी क्यों न उनको बिलासपुर मुख्यालय से जमुना/कोतमा इस आॅपरेषन के लिये ही भेजा गया है। अगर आमाडांड खुली खदान चालू हो जाती है तो पुरूस्कार स्वरूप इन्हें सीएमडी पद पर नवाजा जा सकता है ऐसी भी चर्चा है। यही कारण है कि जीएम सरदार हरजीत सिंह मदान अब शाम-दाम, दण्ड-भेद की नीति अपनाकर किसी तरह खुली खदान को चालू कराने के लिये कदम बढ़ा दिये हैं। 
अनूपपुर। शनिवार को आस्था, उमंग, उत्साह का त्योहार मकर संक्रांति का पर्व होने के कारण आमाडांड खुली खदान क्षेत्र के निवासी सुबह सो कर उठने के बाद पवित्र नदियों में स्नान करने की तैयारी में थे, तो वहीं दूसरी ओर घर के बच्चे और महिलाएं मेला देखने के लिये अपने आप को तैयार कर रही थी। तभी यह खबर जंगल मंे आग की तरह फैल गयी कि अनसन स्थल पर एसईसीएल जमुना/कोतमा क्षेत्र के अधिकारी अपनी सुरक्षा में तैनात एआईएसएफ के पचासों जवानों के साथ बुलडोजर लेकर आ गये हैं। इस खबर के बाद त्योहार की तैयारी छोड कर किसान, आदिवासी धरना स्थल की तरफ दौड़ पड़ा और किसी तरह अधिकारियों को वापस करने में सफल रहा। भारी विरोध के कारण अनसन स्थल से अधिकारी और एआईएसएफ के जवान लौट तो गये, लेकिन अनसन स्थल के मैदान में बुलडोजर छोड़कर इस बात का संकेत देते गये कि आज तो जा रहे हैं अब जब आयेंगे तो पूरी तैयारी से आयेंगे। और उस बुलडोजर को देख-देख कर आदिवासी किसानों का त्योहार का सारा उल्लास ठंडा पड़ गया।
बुलडोजर से खत्म हुआ त्योहार का उल्लास
सुबह साढे आठ बजे से लेकर लगभग बारह बजे तक एसईसीएल अधिकारियों और किसानों के बीच मची धमाचैकडी के बाद भले ही एसईसीएल के अधिकारी अपने पचासों जवानो के साथ जमुना/कोतमा लौट गये। परंतु खुले मैदान में बुलडोजर को छोड़कर जाना चर्चा का विषय बना रहा। यही कारण था कि दोपहर के बाद भी आदिवासी किसान आस्था, उमंग और उल्लास के त्योहार पर उदास मैदान में बैठे रहे। क्योंकि एसईसीएल के बुलडोजर पहंुचने के बाद अनसन स्थल पर जुटी भीड ने उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगीनाथ और मध्यप्रदेष के मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के बुलडोजर की चर्चा होती रही। जिसको सुन-सुन कर आदिवासी किसान दहषत के माहौल में त्योहार मनाना भूल बैठे। वहीं बच्चे और महिलाएं भी मेला देखने नही गये, जिसके कारण उनके मन में भी अपने पेट और भविष्य का दिन भर सवाल कौंधता रहा।
बिना पुलिस प्रषासन के इस तरह जाना बना चर्चा का विषय
विवादित और कई महीनों से उलझता जा रहा आमाडांड खुली खदान का प्रकरण की कहानी उलझती जा रही है। उत्पादन बढ़ाने के लिये एसईसीएल को खुली खदान को चालू करना बहुत ही जरूरी है तो दूसरी ओर शोषित पीड़ित आदिवासी किसानों के लिये भी अपने जमीन के बदले अपना हक अधिकार मान रहे किसानों आदिवासियों ने इसे पेट का सवाल मानते हुये लगभग साल भर से एक झोपड़ी लगाकर अनसन पर बैठे है। इनके अनसन को खत्म कराने के लिये पुलिस और जिला प्रषासन की किसानों की मौजूदगी में एसईसीएल के अधिकारियों से कई दौर की वार्ता हो चुकी है। पर अब लगता है कि नये जीएम आने के बाद एसईसीएल कोतमा अनसन स्थल से आदिवासियों किसानों को हटाने के लिये शाम-दाम, दण्ड-भेद के साथ उतर पड़ी है, जिसका संकेत बिना पुलिस प्रषासन के साथ लिये केवल अपनी सुरक्षा के लिये तैनात पचासो एआईएसएफ जवानों को लेकर शनिवार को बुलडोजर के साथ अनसन के मैदान में जाने से साफ-साफ मिल रहा है।