स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट, लैब असिस्टेंट एवं लैब अटेंडेंट अनिश्चितकालीन धरने पर
अनुपपुर। जिले की स्वास्थ्य संस्थाओं में कार्यरत पैथोलॉजी लैब, ब्लड बैंक विभाग के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए है। जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग में रक्त जांच, कोरोना जांच, टीबी, मलेरिया डेंगू जांच के साथ साथ ब्लड बैंक की सेवाएं पूरी तरह ठप्प हो गई है। ज्ञात हो कि उमरिया जिले में भी लैब कर्मचारी अपनी 13 सूत्रीय मांगो के समर्थन में 13 जनवरी से हड़ताल में शामिल है। जिससे जिला अस्पताल में जांच हेतु आए मरीज दिन भर भटकते हुए नजर आए जिला मुख्यालय में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों एवं स्थानीय मरीजों का जमावड़ा सुबह से ही रहता है। लेकिन हड़ताल के कारण मरीजों को आधा अधूरा उपचार मिला और मरीज दिन भर परेशान हुए। 13 सूत्रीय मांग में लैब टेक्नोलॉजिस्ट ने पदनाम परिवर्तन कर लैब ऑफिसर, ग्रेड पे 2800 से 4200 करने, राज्य शासन के नियमित पद पर कार्य रहे संविदा कर्मचारियों को पूर्ण वेतन 100 प्रतिशत देने, लैब असिस्टेंट का ग्रेड पे 2800 करने, लैब अटेंडेंट का ग्रेड पे 2400 करने, सभी परियोजनाओं में कार्यरत लैब टेक्नीशियन को नियमित पद पर समायोजित करने की मांग की है, इसके साथ ही रिस्क अलाउंस, रात्रिकालीन भत्ता, निश्चित अंतराल में प्रमोशन आदि अनेक मांगे की है जिस पर शासन को विचार करने की आवश्यकता होगी। शासकीय लैब टेक संघ के जिलाध्यक्ष सुशील तिवारी ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन को लैब टेक संवर्ग ने प्रदेश स्तर से पूर्व के वर्षों में ज्ञापन एवं पत्राचार के माध्यम से कई बार अपनी मांगों से अवगत करवाया, लेकिन वर्तमान शासन द्वारा किसी भी प्रकार की सुनवाई नहीं की गई। जिसके कारण 9 जनवरी को प्रदेश भर में लैब संगठन एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर थे एवं 13 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर होने को बाध्य हुए है। और जब तक हमारी मांगों पर विचार करके कोई हल नहीं निकाला जाता हम प्रदेश संगठन के साथ इस हड़ताल में शामिल रहेंगे।
वैकल्पिक आउटसोर्स एवं पैरामेडिकल छात्रों के भरोसे जांच
जिला अस्पताल में इन दिनों खून जांच एवं अन्य जांचों को जिम्मा आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे है। नियमित कर्मचारियों की तुलना में वैकल्पिक कर्मचारी कामचलाउ कार्य कर रहे है, जिससे जांच की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। साथ ही ब्लड बैंक में ब्लड ट्रांसफ्यूजन हेतु आउटसोर्स के कर्मचारी कार्य कर रहे है जिसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते है। जिला अस्पताल में वर्तमान में प्रतिदिन 100 से 150 मरीजों की जांच होती है इसके साथ ही 8 से 10 मरीजों को ब्लड की आवश्यकता प्रतिदिन रहती है। लैब कर्मचारियों के हड़ताल में जाने से सभी सेवाएं प्रभावित है। वैकल्पिक कर्मचारियों से काम चलाऊ कार्य लिया जा रहा है, लेकिन उसकी गुणवत्ता मानकों के अनुरूप होगी ये कहना संदेहास्पद होगा। दर्जनों मरीज पैथोलॉजी जांच एवं ब्लड के लिए परेशान रहे वही मरीज के परिजन सुबह से ब्लड के लिए भटकते रहे। शासन प्रशासन को लैब टेक संगठन की मांगों का निराकरण करने हेतु जल्द ही विचार करना चाहिए अन्यथा कोई अवांछित घटना के इनकार नहीं किया जा सकता जिसकी जवाबदेही तय करना मुश्किल होगा।