कोयला माफियाओं के कारण नही रुक रही कोयले की चोरी
अनूपपुर। सात हजार करोड़ कोयला घोटाले में 2017 में सीबीआई की जद में आ चुका साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड बिलासपुर के अधिकारियों की मिलीभगत से समूचे क्षेत्र में एक बार  पुनः वही खेल दोहराया जा रहा है जिससे भारत सरकार को करोड़ों का चूना लग रहा है काले सोने की उपाधि प्राप्त कोयला समूचे देश में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड का गुणवत्ता के मामले में एक रिकॉर्ड है मध्य प्रदेश के शहडोल उमरिया और अनूपपुर जनपद के अंतर्गत संचालित होने वाले जोहिला कालरी जमुना कॉलरी हसदैव कालरी से निकलने वाला कोयला पूरे भारत में  सबसे अच्छा जाता है यही कारण है कि कोयला माफियाओं की निगाह इस क्षेत्र में जमी हुई है काले सोने के  काले धंधे केइस खेल एसईसीएल के अधिकारियों की माफिया गठजोड़ का उजागर 2017 में सीबीआई द्वारा किया गया था और एक बार फिर वही माफिया गठजोड़ एचपीसीएल के अधिकारियों के संरक्षण में दिन-रात दूनी जोगनी रफ्तार से भारत सरकार के राजस्व में नए तरीके से चूना लगाने में लगे हुए हैं। बताया जाता है कि उमरिया से लेकर अनूपपुर तक छत्तीसगढ़ के बॉर्डर के अंतर्गत आने वाली विशेष खदानों के आसपास अवैध तरीके से कोयला के भंडार  किए जाते हैं जिसके बारे में अधिकारियों से लेकर कोल माइंस के अधिकारियों तक पुलिस प्रशासन तक जानकारी है परंतु इस का चढ़ावा उनकी मेज तक पहुंच जाता है। जिसके कारण काले धंधे को रोकने की जगह इसके संरक्षण में अधिकारीगण ज्यादा मस्त रहते हैं वैसे तो देखा जाए तो प्रदेश सरकार के खनिज विभाग और प्रदेश सरकार की पुलिस की भूमिका इस काले धंधे में सुनने नजर आती है परंतु इस काले धंधे के खेल में बिनाइन की सहभागिता से इसके अंजाम तक पहुंचना बहुत मुश्किल का काम लगता है बिना किसी परमीत बिना किसी रॉयल्टी के कागजात को लेकर कोयले से लदी ट्रक बहुत ही आराम से एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश की सीमा में विशेषकर मध्य प्रदेश के अनूपपुर की सीमा से कटे हुए छत्तीसगढ़ के पेंड्रा गौरेला मरवाही की सीमा में ट्रकों का प्रवेश करना अपने आप में बहुत कुछ कहता है।