वाह रे सिस्टम, उपचार के दौरान बच्ची की मौत के बाद शव वाहन नही मिलने से लाचार पिता रात के अंधेरे में बाइक पर बेटी का शव लेकर चल पड़ा ...रिपोर्टर दीपक कुमार गर्ग

कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद शव वाहन हुआ उपलब्ध 

शहड़ोल । मध्यप्रदेश के शहड़ोल जिले में हुई एक घटना ने मानवता को फिर शर्मसार कर दिया है। यहां एक बेबस पिता सिस्टम की बेरूखी के चलते इलाज के दौरान हुआ बच्ची की मौत के बाद अपने मृत बच्ची के शव को बाइक  में रखकर 60 किलो मीटर दूर का सफर तंय कर  निकल पड़ा ,इसी बीच मामले की जानकरी लगते ही मौके पर पहुची शहड़ोल कलकेटर ने शव वाहन उपलब्ध कराया, भले ही कलकेटर ने आज जनाकारी लगने पर शव वाहन उपलब्ध करा दिया हो लेकिन आज भी आदिवासी बाहुल्य शहड़ोल संभाग में कभी खाट पर तो कभी बाइक पर तो कभी रिक्सा पर तो कभी शव को हाथ मे लकेर जाने के मामले सामने आते रहते है। सिस्टम को तमाचा मारने वाली यह तशवीर कही और कई नही बल्कि जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल की है ....


 जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के निवासी लक्षमण सिंह गोंड की 13 साल की बच्ची माधुरी सिकल सेल बीमारी से ग्रसित थी, जिसे इलाज के लिए संभाग के सबसे बड़े ज़िला कुशा भाऊ ठाकरे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जंहा इलाज के दौरान शाम को बच्ची की मौत हो गई , परिजनों ने शव को अपने गृह ग्राम तक ले जाने के लिए शव वाहन  मांगा तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि 15 KM से ज्यादा दूरी के लिए नहीं मिलेगा ,आपको खुद करना पड़ेगा , गरीब पिता निजी शव वाहन का खर्च नहीं उठा पाने की स्थिति में खुद बेटी का शव लेकर बाईक में निकल पड़ा ,  इसी बीच मामले की जानकरी लगते ही मौके पर पहुची शहड़ोल कलकेटर ने शव वाहन उपलब्ध कराया...

 आदिवासी बाहुल्य शहड़ोल संभाग में कभी खाट पर तो कभी बाइक पर तो कभी रिक्सा पर तो कभी शव को हाथ मे लकेर जाने के मामले सामने आते रहते है। जो प्रशासन को आइना दिखाने की लिए काफी है।  बाबजुद इसके इस ओर सुधार करने की बजाय विकल्प निकल कर उसे बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है।  

इस पुरे मामले में शहड़ोल कलेक्टर  वन्दना वैद्य का कहना है कि जनाकारी के अभाव में शव वाहन नही मिल पाया था, जिसे फिर शव वाहन उपलब्ध करा दिया गया ....