दो दांत वाला नर हाथी मचा रहा हंगामा, सोमवार मंगलवार की रात मृत हाथी के समीप पहुंच कर हुआ वापस, 

कई बार हाथी गश्ती दल एवं ग्रामीणों को दौड़ाया, दो मोटरसायकल को किया क्षतिग्रस्त-रिपोर्ट @शशिधर अग्रवाल अनूपपुर
अनूपपुर /  
विगत एक माह 10 दिन से अनूपपुर जिले के अनूपपुर एवं जैतहरी वन परिक्षेत्र एवं तहसीलों के अंतर्गत निरंतर विचरण कर रहे दो दांत वाला एक नर हाथी जिसकी पहचान छतीसगढ़ वन विभाग ने त्रिदेव हाथी दल के मुखिया के रूप में की है के द्वारा तीन दिनों के मध्य अनेको बार ग्रामीणों सहित हाथी गश्ती दल में लगे वन अधिकारियों/कर्मचारियों को भी तेजी से दौड़ाया तथा इस दौरान एक प्राचार्य एवं एक वनरक्षक की मोटरसाइकिल को फेंक कर, ढनगा कर हुए बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया विगत सोमवार एवं मंगलवार की मध्य यह नर हाथी एक फरवरी को करंट से मृत अपने हाथी साथी के समाधि स्थल से 200 मी की दूरी तक पहुंच कर मंगलवार की सुबह फिर से अपने अस्थाई घर वन परिक्षेत्र जैतहरी के गोबरी बीट अंतर्गत कक्ष क्रमांक 302 झुरहीतलैया के जंगल में जाकर विश्राम कर रहा है।  यह हाथी रविवार की देर शाम गोबरी के 302 जंगल से प्रत्येक दिन की तरह शाम होते ही निकल कर जैतहरी-राजेंद्रग्राम मुख्यमार्ग पर ठाकुरबाबा एवं डिओ राडं के मध्य से गुजरा हुआ महावीर ढीमर के खेतों में लगे गेहूं को खाता हुआ तिपान नदी पार कर देर रात नगरपरिषद जैतहरी के वार्ड क्रमांक 15 में पहुंचकर रात 9 से 12 बजे तक हंगामा करता हुआ तीन घरों में तोड़फोड़ कर बांड़ी में लगे केला एवं अन्य तरह की फलों एवं फसलों को नुकसान करता हुआ सोमवार की सुबह वार्ड नंबर 15 निवासी रामलाल पिता महदोले बैगा के खेत में लगे गेहूं,अरहर की फसल को 12 बजे से 4 बजे सुबह तक खाता हुआ 4 बजे सुबह खेत से निकलकर जैतहरी-राजेंद्रग्राम मुख्यमार्ग पर चलता हुआ फिर से महावीर ढीमर के खेत में दो घन्टें तक गेहूं खा कर मुख्यमार्ग पर चलते समय पैदल आ रहे एक युवक को तेजी से चिधाड कर हमला करने का प्रयास किया जिससे वह युवक तेजी से भाग कर अपनी जान बचाया इस दौरान सुबह 6 बजे के लगभग जैतहरी के प्राचार्य जे,पी,तिवारी जो राजेंद्रग्राम के लेदरा स्कूल में दसवीं की परीक्षा के केंद्राध्यक्ष हैं मोटरसाइकिल से जा रहे थे तभी मुख्यमार्ग में अचानक हाथी के आ जाने पर ब्रेक लगाते हुए स्वयं को बचाया इस बीच हाथी ने उनकी मो,सा,एमपी 65 एम,ई, 2049 जो मुख्यमार्ग पर गिर कर पड़ी रही को पैरों से घसीटते,धक्का देते हुए रोड के किनारे कर दिया तथा सुबह 7 बजे की गोबरी के जंगल कक्ष क्रमांक 302 में स्थित बरगद के पेड़ के नीचे लेट कर,बैठकर,खड़े होकर पूरा दिन व्यतीत करने बाद सोमवार की देर शाम जंगल से निकलकर ठेगरहा गांव में ठेगरहा से पगना जाने वाले मुख्यमार्ग को कुन्ना कोल के घर के पास से पार करता हुआ देर रात वन परीक्षेत्र अनूपपुर के दुधमनिया बीट अंतर्गत बांका गांव की कचराटोला होकर कांसा दुधमनिया मुख्यमार्ग के समीप एक किसान के खेत में लगे मशूर की फसल को आहार बनाता हुआ रोड पार कर ग्राम पंचायत कांसा के बांधामूडा नामक स्थल पर कमलेश एवं गगांराम पटेल के खेतों में लगी फसल को अपना आहार बनाकर बांध एवं तालाब के पास पहुंचा इस स्थल से 200 मीटर दूर पर 1 फरवरी की सुबह इस हाथी के एक साथी जो दो दांत वाला छोटा हाथी रहा की करंट से मौत होने पर वनविभाग द्वारा पूरी कार्यवाही करते हुए आरोपी लालजी कोल खेत जहां घटना स्थल रहा है में जेसीबी के माध्यम से बड़ा गड्ढा करा कर दफनाया गया था के समीप पहुंचकर फिर से बड़ी तेजी से जिस रास्ते से गया था उसी रास्ते से वापस आया इस दौरान दो-तीन बार ग्रामीणो एवं हाथी गस्ती दल मे लगे वन परीक्षेत्र अनूपपुर के कर्मचारियों को तेजी से दौड़ाया हाथी के दौडाये जाने पर सभी अपनी-अपनी जान बचाकर तीतर-वितर होकर तेजी भागे इस बीच कांसा दुधमनिया मुख्यमार्ग के मध्य  मडर्रआमा नामक स्थान पर रोड के किनारे खड़ी दुधमनिया बीट के वनरक्षक राजीव पटेल की मोटरसाइकिल को उठाकर,पटक कर घसीटते हुए रोड के किनारे लगे  बरमसिया की झाड़ियो में फेंक दिया तथा आधे घंटे तक हाथी मोटरसाइकिल के पास ही खड़ा रहा है हाथी के द्वारा पटकने पर मोटरसाइकिल क्षृतिगस्त हो गई जिसके बाद यह हाथी बांका गांव पहुंचकर मंगलवार की सुबह होते ही गणेश सिंह नामक व्यक्ति के खेत में लगे गेहूं की फसल को खाता हुआ मंगलवार की सुबह 7 बजे के लगभग अपने पैतृक स्थान गोबरी बीट के कक्ष क्रमांक 302 के जंगल में जाकर विश्राम करने चला गया।
छतीसगढ़   एवं महाराष्ट के हाथी विशेषज्ञों का मानना है कि यह बड़े आकर के हाथी जिसे छत्तीसगढ़ वनविभाग द्वारा त्रिदेव हाथी का नामकरण किया है जो विगत दो वर्षों से छत्तीसगढ़ में स्थित अपने बड़े समूह से कुछ साथियों को लेकर छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में निरंतर विचरण कर रहा है का एक छोटा साथी के विगत दिनों करंट से मौत हो जाने के कारण ससंकित तथा दुखी है यही कारण है की घटना के बाद से वर्तमान समय तक इसके दोनों आंखों से आंसू निरंतर बह रहे हैं वही यह अपने मृत हाथी साथी के याद में बीच-बीच में अचानक तेज-तेज आवाज कर याद करता है तथा बीच-बीच में आक्रोशित होकर दौड़ने का प्रयास कर रहा है छत्तीसगढ़ के हाथी विशेषज्ञ मंसूर खान एवं पश्चिमबंगाल के हाथी विशेषज्ञ सेन गुप्ता ने अनूपपुर जिले के वन अधिकारियों एवं हाथी विचरण क्षेत्र के ग्रामीणों से अकेले विचरण कर रहे इस बड़े हाथी के नजदीक नहीं जाने, किसी भी तरह की छेड़खानी नहीं करने तथा सुरक्षित दूरी बनाए रखने की अपील की है एवं सभी को चेताया हैं कि मनुष्य की तरह हाथी भी मानव स्वभाव का होता है जो अपने किसी भी साथी की किसी भी तरह की मृत्यु पर दुख प्रकट करते हुए बदला लेना के लिये आक्रोशित होकर किसी भी समय आक्रमक हो सकता है जिससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घटने की संभावना बनी रहेगी।